लाला लाजपत राय का जीवन परिचय । Lala Lajpat rai biography in hindi.
Lala Lajpat rai biography in hindi. अंग्रेजी दासता के खिलाफ अनेको भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने लड़ाई लड़ी थी । उनमें से एक थे Lala Lajpat rai. लाला जी आज भी युवाओं के दिल में उसी तरह बसे हुए हैं। वह आज भी युवाओं के प्रेरणा स्रोत हैं । आज भी उन्हें उतनी ही श्रद्धा से याद किया जाता है । लालाजी पंजाब के शेर थे, शेर ए पंजाब । आज भी वे युवाओं के प्रेरणा पुंज हैं। भारतीय इतिहास में लाल - पाल - बाल के प्रमुख माने जाते थे ।
आज भी लोग उन्हें अपना आदर्श मानते हैं। लाला जी अपने कार्यों से खुद को अमर बना गए। लाला जी जैसे महान लोगों की वजह से ही आज हम आजाद फिजाओं में सांस ले रहे है। वे भारत माता के ऐसे सपूत थे। जिन्होंने अपना सारा जीवन देश के लिए कुर्बान कर दिया । तो चलिए जानते है - लाला लाजपत राय का जीवन परिचय । Lala Lajpat rai biography in hindi.
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लाला लाजपत राय का जन्म कहा हुआ था ?
लाला लाजपत राय का जन्म पंजाब के फिरोजपुर जिले में पड़ते जगरांव के गांव में हुआ। इनके पिता का नाम मुंशी राधा-कृष्ण था वह जाति से वैश्य थे। उनकी पत्नी सिख परिवार से थी बालक लाजपत राय का जन्म 28 फरवरी 1865 में हुआ । इस समय पंजाब अंग्रेजो के कब्जे में था।
माता-पिता ने बालक का पालन पोषण बड़े ही लाड प्यार से किया। वे प्यार से बालक को लाजपत राय कह कर बुलाते थे । लाला लाजपतराय का विवाह मात्रा 13 वर्ष की उम्र में एक संपन्न परिवार की कन्या राधा से किया गया था । इनके तीन बच्चे थे जिनका नाम प्यारे कृष्ण, प्यारे लाला व एक पुत्री का नाम पार्वती था ।
लाला लाजपतराय का प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा । Lala Lajpat rai biography in hindi.
लाजपत राय का बालपन व शिक्षा - बालक लाजपत राय बचपन में अक्सर बीमार रहते थे । आरंभ के 5 वर्ष तक लाजपतराय बीमार चलते रहे। इस समय उनकी शिक्षा-दीक्षा का कार्य पिता की देखरेख में ही हुआ। लाजपत राय पढ़ने लिखने में बहुत होशियार थे। अध्यापक उन्हें बहुत प्यार करते थे मिडल तक की परीक्षा में उन्होंने बहुत अच्छे अंक प्राप्त किए ।मिडिल के बाद पढ़ाई के उद्देश्य को लेकर वे लाहौर चले गए ।
वहां पर पढ़ाई के लिए उन्हें वजीफा भी मिला। लाहौर में लाजपत राय को अपने पिता के दो मित्र मिले। जिनके नाम थे भिवानी दास तथा शिव नारायण अग्निहोत्री । लाजपत राय ने भिवानी दास के साथ रहना शुरू कर दिया। वह पढ़ाई में लाजपत राय की मदद किया करते थे। शिव नारायण अग्निहोत्री पंजाब क़े ब्रह्म समाज के नेताओं में से एक थे और वे बिरादरी हिंद नामक पत्र का संपादन किया करते थे। लाजपत राय के पिता इसके लिए लेख लिखा करते थे।
Lala Lajpat rai biography in hindi.
शिवनारायण अग्निहोत्री के प्रभाव में आकर लाजपत राय ने ब्रह्म समाज की सदस्यता ग्रहण कर ली। कुछ दिनों बाद लाजपत राय की मुलाकात साईं दास से हुई । वे आर्य समाज के अध्यक्ष थे लाजपत राय का झुकाव आर्य समाज की तरफ होने लगा।
आर्य समाज लाला लाजपतराय । Arya samaj Lala Lajpat rai.
लाहौर में लाजपत राय के दो मित्र थे । गुरुदत्त और चेतन आनंद । इन दोनों ने लाजपत राय को आर्य समाज की सदस्यता लेने को कहा। वहां वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में लाला लाजपत राय अक्सर भाग लिया करते थे । तभी से राष्ट्रवाद की बलवती भावना लाजपत राय के दिल में घर कर गई | Lala lajpat rai को हिंदी में वाद विवाद करना ज्यादा अच्छा लगता था।
सन 1882 में पहली बार वे आर्य समाज मंदिर गए और उन्होंने वहां की सदस्यता प्राप्त कर ली । इसके बाद उन्होंने दयानंद सरस्वती के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का जिम्मा उठा लिया। उनके लिए दयानंद सरस्वती एक आदर्श थे । जिनके आदर्शों पर चलकर व्यक्ति एक अच्छे इंसान का जीवन जी सकता है। लाला लाजपत राय लाहौर में रहकर अपनी वकालत करना चाहते थे।
Lala Lajpat rai biography in hindi.
आर्य समाज द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारियां -
सन 1893 में लाजपत राय को आर्य समाज की ओर से कुछ जिम्मेदारियां सौंपी गई। जिनमें दयानंद कॉलेज की कमेटी का महासचिव पद, लाहौर आर्य समाज के सुसंस्कृत गुट का अध्यक्ष पद तथा दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज के समाचार संपादक का पद भी दिया गया था।
इटली के महान देशभक्त मेजिनी का असर -
1882 में लाजपत राय ने सुरेंद्रनाथ बनर्जी का भाषण पढ़ा। उसी पुस्तक में इटली के महान देशभक्त मेजिनी का भी भाषण था। लाजपतराय मैजिनी के भाषण से इतने प्रभावित हुए कि लाजपत राय ने मैजिनी को अपना गुरु मान लिया बाद में लाजपत राय ने अपने एक मित्र से मैजिनी की एक पुस्तक 'ड्यूटीज ऑफ़ मैन' इंग्लैंड से मंगवा कर पढ़ी तथा उस का उर्दू में अनुवाद भी किया। लाजपत राय पत्रों में लेख लिखा करते थे।
लाला लाजपतराय का योगदान । Lala Lajpat rai ka yogdaan.
1898 में आर्य समाज के वार्षिक उत्सव के समय लाजपत राय ने घोषणा की थी कि अब मैं वकालत के काम को कम समय दूंगा और अपना ज्यादा समय समाज की सेवा के लिए ही लगाऊंगा और लाला लाजपत राय ने अपने आपको समाज सेवा के लिए समर्पित कर दिया।
लाला लाजपतराय ने पंजाब नेशनल बैंक की स्थापना सन 1894 में की थी । यह भारत का पहला बैंक था जो केवल 7 भारतीय निवेशकों से शुरू किया गया था ।
लाला लाजपतराय ने भारतीयों को हिंदी शिक्षा देने के उद्देश्य से सन 1883 में लाहौर में नेशनल कॉलेज की स्थापना की थी । यह कॉलेज इतना लोकप्रिय था कि भगतसिंह जैसे देशभक्त इसी कॉलेज के विद्यार्थी थे ।
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पूरा देश अकाल से प्रभावित था पंजाब भी इससे अछूता नहीं था पंजाब में इस अकाल का असर दिखाई दिया। लाला लाजपत राय ने ऐसे समय में लोगों की मदद का बीड़ा उठाया। वह घूम घूम कर चंदा इकट्ठा करते और फिर उससे अकाल पीड़ितों को राहत पहुंचाते थे।
लेखन कार्य - 1895 से 1900 तक लाजपत राय ने कई महापुरुषों की जीवनी लिखी। जिनमें मेजिनी, मेरी बालड़ी, शिवाजी, स्वामी दयानंद सरस्वती और श्री कृष्ण प्रमुख थे। लाजपत राय ने प्राचीन आर्य सभ्यता को अपने सामने रखकर बच्चों के लिए पुस्तक लिखी और प्रकाशित करवाई ।
लंदन यात्रा - 1905 में lala lajpat rai भारत से लंदन पहुंचे । वे लंदन के एक होटल में ठहरे, जहां उनकी मुलाकात श्याम कृष्ण वर्मा नामक एक प्रसिद्ध क्रांतिकारी से हुई । इस दौरान उन्होंने वहां के कई शहरों का दौरा किया। 1 महीने के लिए वे अमेरिका भी गए । वहीं पर उनकी मुलाकात गोपाल कृष्ण गोखले से भी हुई। 1905 में ही वे लंदन से भारत वापस आ गए।
ब्रिटिश सरकार की दमन नीति - भारत में ब्रिटिश सरकार की दमन की नीति चल रही थी। ऐसे में उसका विरोध किया गया। लाजपत राय ने स्वावलंबी होने की बात करते हुए जनता को आगे आने को कहा । सारे नेता इस में भाग ले रहे थे । विदेशी कपड़ों की होली जलाई जाती थी। लाजपत राय ने अपने भाषणों द्वारा पंजाब की जनता को स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने का सुझाव दिया।
लाजपत राय की अकारण गिरफ्तारी -
1857 की क्रांति को 50 साल पूरे हो गए थे । सरकार को फिर से वैसी ही क्रांति होने का डर था ।इसलिए क्रांतिकारियों को पकड़ा जा रहा था। लाला लाजपत राय को अकारण ही पकड़ लिया गया और पकड़ने का कोई कारण भी नहीं बताया। पुलिस उन्हें रंगून ले आई । रंगून से रेलगाड़ी के माध्यम से मांडले ले आई । मांडले स्टेशन पर अंग्रेजी सिपाही गाड़ी लेकर खड़े थे ।वह लाजपतराय को गाड़ी में बिठा कर मांडले के किले में ले गए । असल में वहां किले वाली कोई बात नहीं थी। वह असल में एक जेल है। जेल में लाजपत राय को ना तो कोई समाचार पत्र दिए जाते थे, ना पढ़ने के लिए पुस्तके ही दी जाती थी ।
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जेल में लाजपत राय के पत्रों को भी सेंसर किया जाता था । बुनियादी जरूरतों के लिए जब लाला लाजपत राय ने मांग की तो पहले तो उन्हें इसके लिए इंकार कर दिया गया और बाद में उन्हें थोड़ी सुविधाएं दी जाने लगी उनके चारों तरफ पुलिस का सख्त पहरा हमेशा रहता था उन्हें किसी से भी मिलने की मनाही थी।
जेल में रहकर लाला लाजपत राय ने धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया। वेद उपनिषद, गीता का अध्ययन किया। बहुत सारी दूसरी पुस्तकें भी पढ डाली । कुछ अंग्रेजी पुस्तकों का भी अध्ययन किया। इसके अलावा लेखन कार्य में भी उन्होंने बहुत रुचि दिखाई । जेल में कई पुस्तकों की रचना की गई।
लाला लाजपत राय कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष कब बने ?
लंबे अरसे तक लाजपत राय ने कांग्रेस से दूरी बनाए रखी, क्योंकि उनके आर्य समाजी मित्र नहीं चाहते थे कि लाजपत राय कांग्रेस के साथ मिलें । अंग्रेज सरकार भी आर्य समाज को शक की नजर से देखती थी। आखिर कार Lala Lajpat rai ने कांग्रेस पार्टी को जॉइन कर लिया । कांग्रेस के 1920 में कलकत्ता में आयोजित अधिवेशन में कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया था ।
लाजपत राय के ज्ञापन -
1907 में लाजपत राय ने पहला ज्ञापन वायसराय और गवर्नर जनरल के नाम दिया जिसमें उन्होंने बताया कि जब उनकी गिरफ्तारी की गई तब भारत में सामान्य हालात थे। उन्होंने अपने जीवन के 25 वर्षों तक वकालत का काम किया है। वह समाज सेवा के अनेक कामों से जुड़े हैं । उन्होंने अधिकांश समय अनाथो, विधवाओं और अकाल पीड़ितों की सेवा करने में बिताया है इसके अलावा देश में शिक्षा का प्रचार-प्रसार भी किया है।
उन्होंने यह भी कहा कि जेल में उनका स्वास्थ्य बहुत बिगड़ चुका है इसलिए उन्हें रिहा किया जाए और कारण बताया जाए कि उन्हें गिरफ्तार क्यों किया गया है जेल अधीक्षक ने इस ज्ञापन के जवाब में मिले आदेश को पढ़कर सुनाते हुए बताया कि पुलिस की चौकसी कम नहीं की जा सकती । आरोपों का विवरण बताया नहीं जा सकता। यदि आप चाहते हैं तो अपना ज्ञापन सम्राट के पास भेज सकते हैं। आप को नौकर की सुविधा नहीं दी जा सकती। अखबार भी पढ़ने को नहीं दी जाएगी और आपको कारावास की अवधि भी बताई नहीं जाएगी।
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लाजपत राय ने अपना दूसरा ज्ञापन सम्राट को भारत के सचिव के नाम से लंदन में भेजा जिसमें उन्होंने फिर से वही बातें दोहराई परिणाम स्वरूप उत्तर तो नहीं मिला परंतु मांडले जेल से उन्हें लाहौर जेल भेज दिया गया। जहां से एक हफ्ते बाद वह अपने घर आ सके परंतु अभी भी जासूस उन पर नजर रख रहे थे।
गरम दल और नरम दल को मिलाने का प्रयास -
1960 में स्वदेशी सम्मेलन की अध्यक्षता में अपने भाषण में लाजपत राय ने नरम दल और गरम दल के नेताओं को मिलाने का प्रयास करते हुए कहा था," मैं कांग्रेस के सभी नरम दल के नेताओं से यह प्रार्थना करता हूं कि वह अंग्रेजों के साथ कोई समझौता ना करें । मैं इस बात को स्पष्ट करना चाहता हूं कि नरम दल के नेताओं को गरम दल के नेताओं के कुछ तौर तरीके पसंद नहीं है लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हम उन्हें हमेशा के लिए अपना विरोधी बना ले। इसलिए मैं अपने गरम दल के मित्रों से यह अनुरोध करता हूं कि वह किसी के बहकावे में आकर कोई कार्य ना करें ऐसा कार्य करें जो हम सब के हित में हो देश के हित में हो।
होमरूल लीग की स्थापना -
लाजपत राय ने 1915 में अमेरिका में होमरूल लीग की स्थापना की। इस संस्था के संचालन में उन्हें बहुत सारे लोगों से सहयोग भी मिला।
रौलट एक्ट और पंजाब - सरकार ने रोलेट एक्ट अधिनियम पारित कर दिया। इसके अंतर्गत सरकार की नियंत्रण कारी शक्तियों को बहाल रखा गया। इसके अंतर्गत लोगों को बिना कारण बताए गिरफ्तार किया जा सकता था, उनको अपमानित किया जा सकता था । पंजाब के लोगों ने इस रौलट एक्ट का विरोध किया। हिंसक घटनाएं घटी । जलियांवाला बाग एक बहुत बड़ी घटना है।
लाला लाजपत राय पर गांधीजी का असर -
लाजपत राय ने गांधी जी को बहुत करीब से कार्य करते देखा । वे उनकी लगन, निष्ठा, कर्म से अत्यंत प्रभावित थे । एक बात उन्हें पसंद नहीं आती थी वह था गांधी जी का अहिंसात्मक तरीका।
जलियांवाला बाग कांड होने के बाद लाजपत राय ने डायर पर प्रमाण सहित कई आरोप लगाए। गांधीजी के असहयोग आंदोलन में लाजपत राय ने कोई रुचि नहीं दिखाई थी। पंजाब में छात्र विद्यालयों का बहिष्कार कर रहे थे। लाला लाजपत राय इसका भी विरोध करते थे। सन् 1920 में लाजपतराय गांधी जी से मिल गए और पंजाब में असहयोग आंदोलन की जिम्मेदारी खुद निभाई। पंजाब में लाला लाजपत राय की स्थिति बहुत मजबूत थी। वह शेरे पंजाब थे। लाजपत राय ने पंजाब आर्य समाज की कई शाखाओं में जाकर भाषण दिए। लाजपत राय ने कई यात्राए कीं । वे इंग्लैंड, अमेरिका और जापान भी गए । इंग्लैंड के कई शहरों में उन्होंने अपने भाषण दिए।
Lala Lajpat rai biography in hindi.
सरकार ने पंजाब में जो विधेयक लागू किए थे, पहला नहर बस्ती और दूसरा भूमि हस्तांतरण अधिनियम ।पंजाब वासियों ने इनका विरोध किया । लाला लाजपत राय ने भी भूमि हस्तांतरण बिल का विरोध किया। इसके विरोध में उन्होंने कई लेख लिखे सरकार ने इनके लिए काफी आपत्ति की।
जेल से लौटने पर लाजपत राय की लोकप्रियता और अधिक बढ़ गई कांग्रेस के गरम दल ने उनको सूरत में होने वाले कांग्रेस अधिवेशन का अध्यक्ष पद देना चाहा परंतु लाजपतराय ने मना कर दिया।
एक अंग्रेज लेखक विंसन ने लाजपत राय की सरलता, सादगी उदारता को देखते हुए कहा था, "लाजपत राय की सादगी और उदारता भरे जीवन की जितनी प्रशंसा की जाए कम है। उन्होंने अशिक्षित गरीबों और असहाय लोगों की बड़ी सेवा की थी जिस क्षेत्र में अंग्रेजी सरकार कोई ध्यान नहीं देती थी उस क्षेत्र में लाजपत राय ने बड़ी सूझबूझ से काम किया था।"
लाला लाजपत राय ने अछूतोद्धार के लिए क्या किया ?
लाजपत राय दलित वर्गों के लिए स्कूलों की स्थापना करना चाहते थे । उन्होंने बहुत धन एकत्र किया और जालंधर में कई स्कूलों का निर्माण करवाया । सन 1913 में उन्होंने जगराओं में अपने पिता के नाम पर भी एक स्कूल बनवाया था । असल में वे दलितों का उद्धार शिक्षा के माध्यम से करना चाहते थे इसके अलावा उन्होंने पंजाब में होजरी उद्योग भी शुरू किया था । सहकारी जीवन बीमा कंपनी को भी स्थापित करने में उन्होंने अपना योगदान दिया था।
सन 1914 में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल इंग्लैंड पहुंच गया । वे इंडिया ऑफिस मे भारतीय प्रतिनिधि मंडल की संख्या बढ़ाने की बात करना चाहते थे । उसी समय एक ऐसी दुर्घटना हुई जिसने सबको दुखी कर दिया। 500 लोगों का एक समूह जहाज से कनाडा जा रहा था उन्हें कनाडा बंदरगाह पर उतरना था, मगर वहां उन्हें उतरने की इजाजत नहीं दी गई। कलकत्ता वापस आने पर उन सभी भारतीयों पर गोलियां दाग दी गई। यह हृदय विदारक घटना थी।
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अमेरिका मे लाला लाजपत राय भारतीय हिंदुओं से मिले जिनमें बंगाली, पंजाबी, मराठी इत्यादि लोग मौजूद थे। लाला लाजपत राय उन सब के साथ भारत की स्थिति के बारे में विचार विमर्श किया करते । अपने एक भाषण में उन्होंने कहा "मैं एक भारतीय हूं, मुझे हर हाल में अपने देश की आजादी चाहिए। मुझे जर्मनी से ना तो दोस्ती है और ना ही दुश्मनी लेकिन अंग्रेजी हुकूमत से हमारी बहुत पुरानी दुश्मनी है।
हम अपने देश से अंग्रेजों को भगाना चाहते हैं हमेशा हमेशा के लिए इसके लिए हमें निर्भीक होकर लड़ाई करनी होगी हम। हम सभी भारतीयों को आपस में सहयोग करना चाहिए । हमारी यह लड़ाई तभी बंद होगी जब हम आजाद हो जाएंगे इसके पहले दुनिया की कोई ताकत हमारी लड़ाई को बंद नहीं करा सकती अब हम भारत पर अंग्रेजों का शासन बिल्कुल नहीं चाहते हम स्वराज्य चाहते हैं स्वराज्य।"
लाजपत राय ने आर्य समाज से समाज सुधार की बात सीखी थी। इसलिए वे सांप्रदायिक सद्भाव की बात हमेशा करते रहे, परंतु भारत में हिंदू और मुस्लिम एकता नहीं बन पाई। यही कारण था कि अंग्रेज फूट डालने में समर्थ हो सके। सन 1906 में कलकत्ता की एक सभा में लाजपत राय ने कहा था कि हिंदू हमेशा हिंदू रहेगा मुसलमान हमेशा मुसलमान। दोनों अपने धर्म को कभी त्यागने वाले नहीं हैं उनके धर्म एक दूसरे से इतने भिन्न है कि भविष्य में धर्म को लेकर उनके बीच सामाजिक एकता में कोई बाधा नहीं आएगी मगर यह एकजुटता कायम नहीं रह सकी।
भारतीय काउंसिल एक्ट -
इसने भारत में सांप्रदायिक निर्वाचन शुरू किया।लाला जी ने इसका खूब विरोध किया।उनका मानना था कि इससे हिंदू मुसलमान कभी एकजुट नहीं हो पाएंगे। उन्होंने लोगों को समझाया कि उन्हें अंधविश्वासों से कुप्रथाओं से बाहर निकलना चाहिए और देश के हित में सोचना चाहिए परंतु लोगों पर इन बातों का ज्यादा असर नहीं हुआ 1918 से लेकर 1922 तक का समय हिंदू-मुस्लिम एकता बनाए रखने के लिए तीव्र राष्ट्रीय आंदोलनों का समय था। 1924 में देश के कई हिस्सों में सांप्रदायिक दंगे हुए जिसकी आग मेरठ जबलपुर इलाहाबाद आगरा मुरादाबाद कई जगह फैली।
वे चाहते थे छात्रों का संपर्क ज्यादा से ज्यादा लोगों तक हो और वह इकट्ठे मिलकर इस समाज का निर्माण करने में अपना योगदान दें उनका कहना था बच्चों को हमेशा दबाकर बहुत अधिक कठोर अनुशासन में ना रखा जाए ऐसा करने से बच्चों के समुचित विकास में बाधा आ जाती है लाजपत राय का यह भी मानना था कि शिक्षा का असली लक्ष्य मनुष्य को सामाजिक प्राणी बनाना है। वह शिक्षा को साध्य नहीं मानते थे। वह मानव प्रगति की बात करते थे। सन 1928 की बात है। साइमन कमीशन भारत आ रहा था।
लाला लाजपतराय पर लाठीचार्ज कब हुआ था ?
इसके विरोध में लाला लाजपत राय ने पंजाब के लायलपुर में एक राजनीतिक सम्मेलन बुलाया और साइमन कमीशन के बहिष्कार करने पर बातचीत की गई। अक्टूबर में इटावा में प्रांतीय हिंदू सम्मेलन हो रहा था। लाजपतराय उसमें भी शामिल हुए 30 अक्टूबर 1928 की बात है लाहौर में साइमन कमीशन के विरोध में जुलूस निकाला गया और लाला लाजपत राय इसका नेतृत्व कर रहे थे।
Lala Lajpat rai biography in hindi.
जुलूस में शामिल लोगों ने साइमन गो बैक साइमन वापस जाओ नारे लगाए। रेलवे स्टेशन के पास पुलिस ने जुलूस को रोकना चाहा, लेकिन नहीं रोक पाए तो पुलिस ने लाठीचार्ज किया बहुत सारे लोग इसमें घायल हो गए। लाला जी को बहुत चोटें आई। उसी शाम उन्होंने लाहौर में एक सभा का आयोजन किया और ब्रिटिश सरकार को चेतावनी देते हुए कहा," आज जुलूस में पुलिस ने जिस तरह लाठी चार्ज किया है उसे लोग कभी भूल नहीं पाएंगे । मुझ पर बरसाई गई एक-एक लाठी अंग्रेजी सरकार के ताबूत की अंतिम कील साबित होगी।
लाला लाजपत राय का मृत्यु कब हुई थी ? Lala lajpat rai death.
इस हमले की बहुत निंदा हुई लालाजी अस्वस्थ हो गए और कुछ दिनों बाद 17 नवम्बर 1928 के दिन देहावसान हो गया। शोक सभाएं आयोजित हुई। गांधी जी ने उनकी मृत्यु पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा," जब तक भारतीय आकाश में सूर्य चमकता रहेगा, तब तक लाजपत राय को हम से कोई नहीं छीन सकता।" मोहम्मद अली जिन्ना ने भी लाजपत राय जी की मृत्यु पर दुख जताते हुए कहा - भारत के राजनीतिक जगत में वे एक महान हस्ती थे ।वे सच्चे और ईमानदार थे। सभी को एक साथ लेकर चलना उनकी प्रमुख आदतों में शामिल था।
जो दीपक बुझने से पहले ज्यादा जगमगाते हैं
उन्हीं की याद में हम, आज वो दीपक जलाते हैं।
सुभाष चंद्र बोस ने भी अपने श्रद्धा सुमन कुछ इस प्रकार प्रकट किए, "लाजपत राय की मृत्यु से भारतीय राष्ट्रवाद के एक अग्रणी नेता का अंत हो गया।" लाजपत राय के एक अमेरिकी मित्र सुंदरलैंड ने कहा था - लाजपतराय एक महान व्यक्ति थे। यदि उन्होंने भारत के अलावा किसी और देश में जन्म लिया होता तो भी वे महान ही होते। राष्ट्र आज भी उनको अपने श्रद्धासुमन समर्पित करता है।
लाला जी आपने वतन के लिए जो किया, को काबिले तारीफ है। वतन आपकी इस कुर्बानी को सदैव याद रखेगा। । डॉ. रमा रानी, जालंधर, पंजाब।।