स्वतंत्रता सेनानी शुगनचन्द मजदूर की जीवनी । Shugan chand majdoor biography in hindi.
Shugan chand majdoor biography in hindi. देश की आजादी में यूं तो विभिन्न धर्म व जाति के असंख्य लोगों ने अंग्रेजों की गुलामी से छुटकारा पाने के लिए स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया था। उन्हीं में वाल्मीकि समाज में भी अनेक स्वतंत्रता के नायक हुए हैं जिनकी संघर्ष गाथा आजादी की लड़ाई से लेकर स्वतंत्र भारत के निर्माण तक अमर हो गई। मुजफ्फरनगर की धरती पर यूं तो कई वाल्मीकि क्रान्तिकारियों ने जन्म लिया है जिन्होंने 1857 प्रथम विश्व युद्ध व 1947 द्वितीय विश्व युद्ध में गुलाम भारत को आजाद कराने के लिए कई ऐतिहासिक आन्दोलनों में भाग लेकर वाल्मीकि समाज का नाम स्वर्ण पन्नों में दर्ज करा गये ।
रणबीरी वाल्मीकि, महाबीरी वाल्मीकि, सहजाराम वाल्मीकि, भगवान सिंह, अजब सिंह, सगवा सिंह, हरदन वाल्मीकि, रामजस वाल्मीकि, बारू वाल्मीकि इन्हीं में शुगनचन्द मजदूर ( Shugan chand Majdoor ) भी एक ऐसा नाम है जो भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में बडे़ ही गर्व व सम्मान के साथ लिया जाता है। तो चलिए जानते है - Shugan chand majdoor biography in hindi.
Also read
◆ आजाद हिंद फौज के नायक जियालाल जीवन । Jiyalal jiwan biography in hindi.
◆ मदन मोहन मालवीय का जीवन परिचय । Madan mohan malviya biography in hindi.
Shugan chand majdoor biography in hindi.
गुलाम भारत में उत्तर प्रदेश के जिला मुजफ्फरनगर के कस्बा पुरकाजी में एतवारी व मनोहरी के घर 13 मार्च 1914 को वाल्मीकि परिवार में शुगनचन्द मजदूर ( Shugan chand Majdoor ) का जन्म हुआ। अपने प्रारम्भिक जीवन से ही वाल्मीकि (दलित) होने की प्रताड़ना को सहते हुए शिक्षा के प्रति गहरा लगाव व गुलामी की जंजीरों को तोड़ने की कसम बचपन में ही खा चुके शुगनचन्द मजदूर ने जनपद मुजफ्फरनगर की धरती पर क्रान्ति की ज्वाला में बढ़-चढ़ कर सहयोग किया था।
वाल्मीकि समाज का मुख्यतः पेशा सफाई कामगार था इसलिए इनके पिता घरों में साफ - सफाई कर अपने परिवार का पालन-पोषण कर अपने होनहार पुत्र शुगनचन्द का शिक्षा के प्रति बेहद ध्यान रखते थे। शुगनचन्द ने धैर्य और हौसले के साथ 1931 में पुरकाजी से मुजफ्फरनगर की ओर रूख किया तो जनपद के अनेक स्वतंत्रता सेनानियों का ध्यान इन पर आकृष्ट हुआ और उन्होंने इन्हें शिक्षा में अध्ययनरत रहने की बात की।
शुगनचन्द का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान ।
उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए वर्ष 1933 में मुजफ्फरनगर से नैनी विद्यापीठ इलाहाबाद के लिए shugan chand majdoor रवाना हुए तो यहां पर इनकी मुलाकात लालबहादुर शास्त्री ( Lal bahadur shastri ) जी से हुई साथ ही हिम्मत और धैर्य धारण कर चुके शुगचन्द का सम्पर्क महात्मा गांधी जी से हो गया और इन दोनों के बीच पत्राचार होने लगा। पूरे देश में क्रान्ति की ज्वाला चर्म पर थी और जगह-जगह स्वतंत्रता के दिवाने भारत को आजाद कराने के लिए कई माताओं के लाल, महिलाओं के पति, बहनों के भाई, बच्चों के पिता अपने प्राणों की आहूति दे रहे थे।
अपने मन में नये जोश व आजदी की उमंग लिए शुगनचन्द मजदूर मुजफ्फरनगर के कई क्रान्तिकारियों के सम्पर्क में आये और जनपद के क्रान्तिकारियों में आकर्षण का केन्द्र बन गये। स्वतंत्रता आन्दोलन में रूचि रख कई आन्दोलनों में जेल यातनाएं सह चुके शुगनचन्द पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ऐसी शख्सियतों में शामिल हुए जिन्होंने इंसानियत का दमन करने वाले मुजफ्फरनगर के तत्कालीन कलैक्टर जे. वी. लिंक्स की कुर्सी पर कब्जा कर 13 मई 1940 को मुजफ्फरनगर की धरती पर ऐसी ईबारत लिख दी जो सदैव इनके जज्बे को सलाम करती रहेगी |
शुगनचन्द की जेल यात्रा -
साथ ही प्रेरणा मिलती रहेगी युवा पीढ़ी को। कलैक्टर की कुर्सी कब्जाने के जुर्म में शुगनचन्द को प्रथम श्रेणी का दोषी करार दिया गया और इन्हें चार साल की कठोर कारावास और पचास रूप्ये जुर्माना, जुर्माना अदा न करने पर छह माह की सजा और सुनाई गई। कारावास की समयावधि इतनी लम्बी थी कि शुगनचन्द को मेरठ, बरेली, आगरा, इलाहाबाद, लखनउ सैन्ट्रल जेल में रहते हुए क्रान्ति के नये - नये रूप को अंजाम दिया। जब शुगनचन्द बरेली जेल में सजा याफता थे तो उन्हें वाल्मीकि होने के कारण कुएं पर अंतिम श्रेणी में नहाने का मौका मिलता था ।
Shugan chand majdoor biography in hindi.
इस बात से नाराज इनके साथी ठाकुर ने खुद अपने हाथ से इन्हें कुएं पर बैठाकर नहलाया था। जेल में रहते हुए जब इन्हें बुखार आ गया तो अंग्रेजी सरकार ने इनका इलाज करवाया और कई दिनों तक ये अस्पताल में भर्ती रहे। जब कई दिनों तक शुगनचन्द घर वापिस नहीं पहुंचे तो इनके घर वालों द्वारा इनकी तीजा-तेरहवीं तक कर दी गई थी। वर्ष 1944 को इनकी रिहाई हुई और इनके मन में अंग्रेजों के विरूद्ध उबाल पैदा हो चुका था जिसे इन्होंने अनवरत 1947 तक जनपद भर में क्रान्ति का बिगुल बजा आजादी का जश्न बनाकर खत्म किया।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद शुगनचन्द का योगदान ।
स्वतंत्रता उपरांत आजादी के दिवाने शुगनचन्द मजदूर ने नवभारत के निर्माण में सफाई मजदूरों की बेटियों को शिक्षित करने के उद्देश्य से मौ. किला मुजफ्फरनगर में मेहतर मजदूर वाल्मीकि कन्या विद्यालय की स्थापना की जो वर्तमान में इनकी स्मृति में इनके ज्येष्ठ पुत्र विश्वप्रिय मजदूर की देख-रेख में चल रहा है।
शुगनचन्द मजदूर के समाज प्रेम व उनके जज्बे को और अधिक गहराईयों में झांकने के लिए लेखक ने इनके ज्येष्ठ पुत्र विश्वप्रिय से फोन पर बात की तो पता चला कि बाबूजी सादगी पसंद शिक्षा-जागरूकता के हिमायती थी। इंसानियत को अपना धर्म मानते हुए छुआछूत के धुर-विरोधी रहे और इसके विरोध में समय-समय पर अपनी आवाज बुलंद करने वाले शुगनचन्द मजदूर जी की सोच का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी संतानों पुत्र विश्वप्रिय, पुत्री जनशक्ति, पुत्र रकंज्य, जय शक्ति, पौत्री लोकप्रतिमा सिंह, पौत्र मनुप्रिय के नामों से ही झलकती है।
कांग्रेस के विधायक के रूप में शुगनचन्द का योगदान ।
जनपद भर में स्वतंत्रता सेनानियों में शुगनचन्द मजदूर भी सर्वसमाज में चर्चित व विशेष मुकाम रखते आये। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के अति निकटवर्ती होने का सौभाग्य पाने वाले शुगनचन्द मजदूर को 1962 व 1967 में शास्त्री जी द्वारा कांग्रेस विधानसभा टिकट मिला, विधानसभा सीट भौक्करहेड़ी व जानसठ विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए व लगातार 25 वर्ष तक जिला पंचायत में सदस्य भी रहे।
Shugan chand majdoor biography in hindi.
पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु उपरान्त इनकी अन्तयेष्टी में शुगनचन्द मजदूर ने अपने परिवार के साथ दिल्ली पहुंचकर श्रद्धासुमन अर्पित किये। 26 जून 1975 को जब देश में आपातकाल लगा तो केन्द्र सरकार के आदेशानुसार मुजफ्फरनगर जिला प्रशासन ने सबसे पहले शुगनचन्द मजदूर को गिरफ्तार किया और बाद में बस अड्डा मुजफ्फरनगर पर भड़काउ भाषण देने के आरोप में 18 महीने तक मुजफ्फरनगर जेल में रखा।
अपने जीवन पर्यन्त सफाई कर्मचारी वर्ग हितों के लिए खासे चिंतित शुगनचन्द मजदूर ने सफाई कर्मचारी यूनियनों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नेतृत्व किया तथा सफाई कर्मचारियों के उत्थान हेतु कई बड़े आन्दोलन किए। इनके ज्येष्ठ पुत्र विश्वप्रिय मजदूर समाज कल्याण अधिकारी मुजफ्फरनगर के पद से सेवानिवृत्त हैं तथा इनका पूरा परिवार शिक्षित व सभ्य है और वर्तमान में भाजपा की राजनीति में सक्रिय हैं।
शुगनचन्द की मृत्यु । Shugan chand death. -
स्वतंत्रता सेनानी व विधायक पेंशन लेते हुए शुगनचन्द मजदूर वाल्मीकि समाज के उन शूरवीरों में शामिल हैं जिनका समाज हमेशा ऋणि रहेगा। आजादी की पच्चीसवीं वर्षगांठ पर ताम्रपत्र से सम्मानित हक अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, पूर्व विधायक व समाज रत्न शुगनचन्द मजदूर 10 मई 1992 को इस दुनियां को अलविदा कर गये, पर महसूस होता है कि फिजाओं में इनके विचार आज भी जिन्दा हैं। आजादी के दिवाने, स्वतंत्रता सेनानी, वाल्मीकि समाज के रत्न श्रद्धेय शुगनचन्द मजदूर जी के चिरस्मरणीय बलिदान को समाज हमेशा याद रखेगा ....।
लेखक - आशीष भारती
1. स्वतंत्रता आन्दोलन में सफाई कामगार जातियों का योगदान (1857-1947)
(लेखक- श्री डाॅ. प्रवीण बहोत )
2. वाल्मीकि सद्भाव स्मारिका (2015)
(सम्पादक- श्री सुशील टांक )