आजाद हिन्द फौज के नायक जियालाल जीवन । Jiyalal jiwan biography in hindi.
Jiyalal jiwan biography in hindi. अलीगढ़ का इतिहास गवाह है कि यहां की धरती पर समाज व देश के लिए कुछ कर गुजरने वाले अनेकों लोग जन्में हैं। ऐसे ही लोगों में एक नाम ऐसा भी रहा जो समाज में अनुकरणीय तो है ही और ऐसा भी है जिसे भुलाया नहीं जा सकता। देश की आजादी में जिन देश भक्त दिवानों ने अंग्रेजी शासन के विरूद्ध संघर्ष किया, यातनायें सही, जेल काटी, कुछ अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के कारण शहीद हो गये और जो शेष जीवत बचे उनका सम्मान और अधिकार प्राप्त करने के लिए भी उन्हें संघर्ष करना पड़ा।
जीवित बचे सत्याग्राही, स्वतंत्रता सेनानियों, आन्दोलनकारियों को केन्द्र व राज्य सरकारों ने उनके संघर्ष के सम्मान में उन्हें पेंशन, सरकारी सुविधायें व ताम्रपत्र तक देकर सम्मानित करते हुए मान्यता प्राप्त स्वतंत्रता सेनानी की संज्ञा दी थी। मगर दलित समाज के ऐसे यौद्धाओ ( Freedom fighter ) को वंचित कर दिया ।
फिर भी दलित समाज के कुछ शूरवीर यौद्धा अपनी मात्र भूमि व संस्कृति की रक्षा की खातिर सेना के जवान की तरह भारत की आन, बान व शान के लिए हमेशा अपने दृढ़ इरादों के साथ संकल्पित रहे। ऐसे थे आजाद हिन्द फौज के नायक जियालाल जीवन। तो आइए जानें - Jiyalal jiwan biography in hindi.
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आजाद हिन्द फौज के नायक जियालाल जीवन । Jiyalal jiwan biography in hindi.
दलित यौद्धा जियालाल जीवन का जन्म अलीगढ़ की धरती पर वाल्मीकि समाज के पत्थरचट्टे चैहान गोत्र में श्री खचेरमल व श्रीमती गंगा देवी के घर 8 जनवरी सन् 1915 को गुलाम भारत में हुआ। जियालाल जीवन के एक भाई किशनलाल जीवन व बिस्सो देवी, यशोदा देवी, किरण देवी, कल्लो देवी, मुन्नी देवी पांच बहने थी। जिसमें जियालाल जीवन सबसे बड़े थे। कम शिक्षित जियालाल जीवन बाल्यकाल से ही आजाद हिन्द फौज के क्रान्तिकारी यौद्धा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के सानिध्य में आ गये थे और इन्हीं के साथ रहकर आजादी की लड़ाई में कूद पड़े और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के साथ क्रान्ति की मशाल लेकर भारत के कोने-कोने में जलाने निकले।
इसी बीच इनकी शादी श्रीमती कस्तूरी देवी के साथ हो गयी और इन पर समाज के साथ ग्रहस्थ जीवन की भी जिम्मेदारी आन पड़ी। इसी बीच इन्होंने उर्दू का ज्ञान प्राप्त किया तो वह उर्दू लिखना व पढ़ना सीख गये और उर्दू में कविता व शायरी लिखने लगे। जियालाल जीवन व कस्तूरी जीवन के 6 सन्ताने हुई जिनमें भैय्यालाल जीवन, नूरमसीह जीवन, श्यौराज जीवन, राजू जीवन पुत्रगण व गिरेश, सुरेश पुत्री हुई।
सदियों से पीड़ाओं का दंश झेल रहे दलित समाज की विडम्बना है कि भारत सरकार ने भी उनके संघर्ष व बलिदान को दरकिनार किया ओर ना तो उन्हें वो सम्मान दिया जिसके वो हकदार थे और ना ही उन्हें स्वतंत्रता सेनानी की उपाधी से नवाजा । बल्कि दलित समाज में कई यौद्धा हुए जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अपना योगदान दिया । Jiyalal jiwan भी उनमें से एक थे ।
जेल भरो आंदोलन के दौरान सुभाष चन्द्र बोस के साथ गये थे जेल -
इसी बीच पूरे देश में क्रान्ति की ज्वाला चर्म पर थी और जगह-जगह स्वतंत्रता के दीवाने भारत को आजाद कराने के लिए जेल भरो आन्दोलनों में कूद पड़े। 1942 में आजाद हिन्द फौज के नायक जियालाल जीवन भी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस (Subhash chandra boss ) के साथ कानपुर जेल में रहे। 1943 में रिहा हुए तो पुनः आजादी की खातिर जेल जाना पड़ा। दलित समाज की हर समस्या के निदान के लिए हमेशा अग्राी पंक्ति में खड़े नजर आते व आस-पास के क्षेत्रों में जाकर बच्चों में शिक्षा की अलख जगाते, स्वतंत्रता आन्दोलन के किस्से भी सुनाते। 15 अगस्त 1947 में आजादी के उपरान्त जब चहूं ओर खुशहाली थी तो उसी खुशी के इजहार को दलित समाज में प्रसारित के लिए क्रान्तिकारी यौद्धा जियालाल जीवन सबके सम्मुख नजर आये।
अपने मन में जोश व आजादी की उमंग लिए जियालाल जीवन अलीगढ़ के कई क्रान्तिकारियों के सम्पर्क में आये और जनपद के क्रान्तिकारियों में गौरवर्ण, दुबले-पतले, लम्बी कद काठी के लम्बा कुर्ता पायजामा टोपी व हाथ में छड़ी लिये जियालाल जीवन आकर्षण का केन्द्र बन गये। स्वतंत्रता आन्दोलनों में रूचि रख कई आन्दोलनों में जेल यातनाये सह चुके शूरवीर यौद्धा जियालाल जीवन का नाम भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में बड़े ही गर्व व सम्मान के साथ लिया जाता है।
आजाद हिंद फौज के साथ अंग्रेजी दासता के खिलाफ देते थे ओजस्वी भाषण - Aajad hind fauj ke nayak jiyalal jiwan.
1943 में रिहाई उपरान्त इनके मन में अंग्रेजों के विरूद्ध उबाल पैदा हो चुका था जो 1947 तक अनवरत चलता रहा। देश में स्वतंत्राता के संग्राम में यह यौद्धा सेनापति की भांति जीवन पर्यन्त संघर्ष करते रहे। चाहे वो भारत छोड़ो आन्दोलन हो या जेल भरो आन्दोलन इन सब आन्दोलनों में पूरे देश की जनता को अपना परिवार मानते हुए अन्य क्रान्तिकारियों के साथ क्रान्ति की ज्वाला का बिगुल फुकने में लगे रहे। इन्होंने एक-दूसरे को सहयोग करने की प्रबल भावना, समाज में कुरीतियों को दूर करना, शिक्षा का प्रसार करना, कविता व शायरी के माध्यम से साहित्य में कदम बढ़ाना, महिलाओं के प्रति सोच बदलना जैसे समाज हितार्थ कार्यक्रमों में बढ़-चढ़ कर सहयोग कर अखण्ड भारत के निर्माण में दूरगामी दृष्टि को उजागर किया।
1942 में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के एक इशारे पर अपने क्रान्तिकारियों के साथ मिलकर अपने हौंसले व साहस का परिचय देते हुए अंग्रेज सरकार के विरूद्ध मोर्चा संभालकर सत्याग्रह किया व जेल गए। क्रान्तिकारी विचारों के यौद्धा जियालाल जीवन हमेशा अपने औजस्वी भाषाणों में उत्साह व साहस के दम पर नवयुवकों में क्रान्ति की ज्वाला पैदा करते थे। 15 अगस्त 1947 में स्वतंत्रता मिलने के बाद कुछ वर्षो तक शांत स्वभाव वाले स्वतंत्रता सेनानियों की उपेक्षा की गई कुछ लोगों ने राजनीति लाभ उठाकर पद प्रतिष्ठा और पैसा कमाया।
जब श्रीमती इन्दिरा गांधी प्रधानमंत्री बनी तो उन्होंने स्वतंत्रता की 25वीं वर्षगांठ पर स्वतंत्रता सेनानियों को ताम्रपत्र से सम्मानित व पेंशन की योजना को अंजाम दिया, किन्तु कुछ तुच्छ मानसिकता व पद प्रतिष्ठा वाले उच्च तबके के लोगों ने दलित समाज को उसके हक को भी मिलने न दिया, फिर भी दलित क्रान्तिकारी भारत के नवसृजन में हमेशा अपनी योजना व साहस से उपर उठकर सहयोग देने में लगे रहे। आजाद हिन्द फौज के नायम नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के विश्वासपात्र वाल्मीकि समाज के शूरवीर यौद्धा महान स्वतंत्रता सेनानी जियालाल जीवन 2 मई 1979 को इस दुनियां को अलविदा कह गये।
इस महान क्रान्तिकारी यौद्धा के घर 26 जनवरी 1953 को श्यौराज जीवन का जन्म हुआ श्यौराज जीवन नाम का यह बालक बचपन से ही अपने सत्याग्राही पिता के पद्चिन्हों पर चलने की कोशिश करता रहा और फिर कांग्रेस की आजीवन सदस्यता ग्रहण की और 1996 में हाथरस लोकसभा सीट पर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा अपितु विजयी नहीं हुए और तब बिजनौर से कांग्रेस की सांसद रही मीरा कुमार के सानिध्य में कांग्रेस में बड़े-बड़े आन्दोलनों में बढ़-चढ़ कर हिस्सेदारी की।
वाल्मीकि समाज के उत्थान के लिए भारतीय क्रान्तिकारी वाल्मीकि सेवादल, भारतीय मानव कल्याण महासमिति, भारतीय स्वच्छकार समुदाय जैसे संगठनों की स्थापना कर समस्त वाल्मीकि समाज को एक मंच पर लाने का काम किया। वर्तमान में जीवन परिवार का नाम अलीगढ़ के बड़े उद्योगपतियों व प्रतिष्ठित परिवारों में लिया जाता है। 2009 में कांग्रेस सरकार में राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी जी ने श्योराज जीवन को राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग भारत सरकार का सदस्य मनोनित किया ।
फिर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का राष्ट्रीय महासचिव व महाराष्ट्र कांग्रेस प्रभारी जैसे महत्वपूर्ण पदों पर सुशोभित किया। योग्य पिता की योग्य संतान कहावत को चरितार्थ करते श्योराज जीवन ने अपने पिता की पुण्य स्मृति में उनकी आदमकद मूर्ति की स्थापना करायी व अपनी माता श्रीमती कस्तूरी देवी जी की स्मृति में एक पार्क का निर्माण कराकर उनकी समाधी बनायी।
इनके छोटे भाई राजू जीवन छात्र जीवन में ही एक सामाजिक दंगे में शहीद हो गये तो श्योराज जीवन ने अपने भाई को शहीद का दर्जा दिलवाया। श्योराज जीवन के तीन पुत्र राहुल जीवन, ज्येष्ठ पुत्र राजेश जीवन भी कांग्रेस के टिकट पर हाथरस विधानसभा से दो बार चुनाव लड़ चुके हैं व वर्तमान में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में सदस्य हैं।
लेखक ने महान क्रान्तिकारी यौद्धा अपने नानाश्री जियालाल जीवन जी के समाज प्रेम व जज्बे को अधिक गहराई से समझने के लिए इनके पुत्र पूर्व केन्द्रीय मंत्री अपने मामाश्री श्योराज जीवन व इनके पौत्र भ्राताश्री राजेश जीवन से फोन पर वार्ता की तो जियालाल जीवन की सादगी, ईमानदारी व क्रान्तिकारी विचारों का पता चला।
इंसानियत को अपना धर्म मानने वाले क्रान्तिकारी विचार धारा के यौद्धा जियालाल जीवन समाज प्रेम व अपने ओजस्वी भाषण के दम पर आज भी हमारे दिलों में जिंदा हैं। ऐसे में जब आज उनके विचार अलीगढ़ की धरती पर व समाज में विराजमान हैं और प्रेरणा का स्रोत हैं तो सभी राष्ट्र प्रेमियों की फर्ज है कि उनका अनुशरण करें।
लेखक - आशीष भारती (कवि )