हरियाणा की पहली माउंट एवरेस्ट विजेता पद्मश्री ममता सौदा । Mamta sauda biography in hindi.
Mamta sauda biography in hindi. ऊँचे नीचे, उबड़ खाबड़ दुर्गम राह पर चलना कितना मुश्किल होता है । मगर हमारे देश के पर्वतारोहियों ने अपने बुलंद हौसलों से Mount Everest की चोटी पर चढ़ कर ही दम लिया । उन पर्वतारोहियों में से कैथल हरियाणा निवासी ममता सोदा ( Mamta sauda ) भी एक है ।
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्वतारोहण के क्षेत्र में विश्व की पांच सबसे ऊंची चोटियों में शुमार वर्ष 2010 में एशिया महाद्वीप का माउंट एवरेस्ट, वर्ष 2012 में यूरोप महाद्वीप का माउंट एल्ब्रस, वर्ष 2013 में अफ्रीका महाद्वीप का माउंट किलिमंजारो, वर्ष 2017 में हरियाणा की सबसे ऊंची चोटी मोरनी हिल्स व वर्ष 2019 में ओशिनिया (इंडोनेशिया) की कारस्टेंसज पिरामिड पर भारत का विजयी तिरंगा फहराने वाली वाल्मीकि समाज की एकमात्र ओर हरियाणा राज्य की पहली पर्वतारोही एवं वर्तमान में हरियाणा सरकार में डीएसपी (पुलिस उप अधीक्षक) के पद पर आसीन पराक्रमी पद्मश्री ममता सौदा के जोश-जुनून पर वाल्मीकि समाज ही नहीं अपितु हरियाणा प्रदेश की जनता भी गर्व से गौरव की अनुभूति करती है।
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माउंट एवरेस्ट विजेता पद्मश्री ममता सौदा । Mamta sodha biography in hindi.
हरियाणा राज्य देश का एकमात्र ऐसा एवं राज्य है जहां जन्में अधिकांश व्यक्ति राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व कर विभिन्न खेल क्षेत्रों में विजय शंखनाद में तिरंगा फहराकर स्वर्ण, रजत, कांस्य पदक जीतकर भारत की झोली में डालते हैं। विभिन्न खेल क्षेत्र की प्रतिभाओं से भरे हरियाणा राज्य के जनपद कैथल में गरीब दलित वाल्मीकि परिवार के लक्ष्मण दास सौदा एवं मेवा देवी के घर बड़ी संतान के रूप में 1 नवंबर 1979 को जन्मी ममता सौदा हरियाणा राज्य ही नहीं अपितु भारत के वाल्मीकि समाज एवं महिलाओं के लिए गौरव हैं। बचपन से ही कुशाग्रबुद्धि व खेल क्षेत्र में रुचि रखने वाली ममता सौदा अपने माता-पिता की पांच संतानों में तीन बहनों ओर दो भाईयों में सबसे बड़ी हैं। ममता सौदा ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा कैथल से पूरी करते हुए छात्र जीवन से ही हैंडबॉल के शौक को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया था।
ममता सोधा का प्रारंभिक जीवन एवं कैरियर । Mamta sauda career. -
हरियाणा राज्य बालिका टीम की सदस्य रहते ममता सौदा ने नवंबर 1998 में आगरा में आयोजित 21 वीं जूनियर गर्ल्स नेशनल हैंडबॉल चैंपियनशिप में प्रतिभागिता के साथ उपविजेता का स्थान प्राप्त किया साथ ही कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय की टीम की सदस्य के रूप में कार्य किया। दिसंबर 1998 में अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय हैंडबॉल टूर्नामेंट में विजेता की उपाधि प्राप्त की। वर्ष 2003 में हरियाणा सरकार के खेल और युवा कल्याण विभाग द्वारा हैंडबॉल में ग्रेड 1 खिलाड़ी के रूप में चुन लिया गया।
ममता सौदा वर्तमान में नेशनल एडवेंचर क्लब की सदस्य भी हैं। आगे की शिक्षा पूरी करने के लिए कैथल के ही डिग्री कोलेज की ओर रुख किया। आरकेएसडी कोलेज, कैथल में स्नातक की कक्षा में प्रवेश पाकर स्नातक की उपाधि उच्च श्रेणी में प्राप्त की फिर अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए वर्ष 2005 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से एमफिल (शारीरिक शिक्षा में मास्टर डिग्री) प्राप्त की।
अपने हुनर, अपने कौशल, अपनी प्रतिभा, अपनी योग्यता के बल पर जनपद के ही शहीद बाबा दीप सिंह कोलेज आफ फिजिकल एजुकेशन, कैथल संबंधित कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय में व्याख्याता के पद पर कार्य प्रारंभ करते हुए अपने जीवन में नये आयाम स्थापित करने के लिए कठिन परिश्रम की शुरुआत की।
हरियाणा सरकार में खाद्य ओर आपूर्ति निरीक्षक के पद पर कार्य करने वाले लक्ष्मण दास सौदा की वर्ष 2004 में मृत्यु हो जाने से ममता सौदा के सिर से पिता का साया उठ जाना, दुखों का बहुत बड़ा पहाड़ टूट जाने जैसा था। परिवार में बड़े होने के नाते पिता के जाने के बाद आर्थिक तंगी, परिवार की जिम्मेदारी, सब की इच्छाओं, ओर अपने सपनों को पूरा करना कठिन डगर की बड़ी जिम्मेदारी थी।
माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले । mount everest par chadhane wale. -
माउंट एवरेस्ट पर फहत करने वाले व्यक्तियों में संतोष यादव, अरुणिमा सिन्हा, बछेंद्री पाल, शिवांगी पाठक, प्रेमलता अग्रवाल आदि । उनमें से ममता सोधा ने भी फतह हासिल की है ।
दुनिया की सबसे ऊंची एवं खतरनाक चोटियों में से एक है कारस्टेंसज पिरामिड इंडोनेशिया के बहुत ही दुर्गम और बीहड़ पशिमी पापुआ क्षेत्र में स्थित है जिनकी ऊंचाई लगभग 4884 मी. हैं । यह क्षेत्र हिमालय व एडीज के बीच का पॉइंट हैं । जो आयरलैंड पीक के नाम से जाना जाता है । जिस पर रस्सियों के माध्यम से चढ़ना होता है । वहां पर पहुँचने के लिए 2 घण्टे से अधिक समय लगा । ममता ने अब 2010 में माउंट एवरेस्ट, 2012 में माउंट एल्बसर एवं किलिमंजारो पर 2013 में फतह हासिल की है ।
इन ऊँची ऊँची चोटियों पर तापमान की बात करे तो माईनस 5 डिग्री था और लगातार 3 तक बारिश के साथ लगभग 22 फ़ीट लम्बी रस्सी से लोहे के वायर पर चढ़कर फिर पहाड़ पर चढ़ना बहुत मुश्किल भरा सफर था । मगर ममता जी के बुलंद हौसलों कर दिखाया ।
एक ओर जहां ग्रामीण अंचल में गरीबी, तंगहाली, आर्थिक मानसिक व शारीरिक शौषण उससे भी बढ़कर महिला होना जीवन जीने की राह आसान नहीं थी किन्तु जीवन में कुछ करने की इच्छा की चाह ने उसकी कठिन राह के नुकीले कांटे व उबड़-खाबड़ पत्थर को भी पैरों तले रौंदकर भारत के स्वर्णिम इतिहास में पर्वतारोहण के क्षेत्र में वर्ष 2010 में विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर वर्ष 2012 में यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एलब्रस पर भारत का विजय तिरंगा फहराकर अपने सपनों को साकार कर महिलाओं के लिए एक मिसाल कायम की है कि महिलाएं चाहें तो क्या नहीं कर सकती ।
ऐसे चला ममता सौदा का पर्वतारोहण का सफर
साल 2003 से पर्वतारोहण के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने वाली ममता सौदा ने सबसे पहले मनाली स्थित ट्रेक्किंग एक्सपेडिशन करीब 13000 फीट ऊंचे पर्वत पर चढ़ाई करने का सफल प्रयास किया ।
- इसके बाद 2007 में उन्होंने फ्रेंडशिप पीक ( मनाली ) 18000 फीट,
- साल 2008 फवारारंग पीक ( किन्नौर ) 214418 फीट,
- साल 2008 में मून पीक ( कांगड़ा ) 16000 फीट,
- साल 2009 में श्री कंठ पीक ( उत्तरकाशी ) 20422 फीट,
- साल 2009 में मून पीक ( कांगड़ा ) 16000 फीट,
- इसी वर्ष में चंदर खान पास ( मनाली ) में 10000 फीट,
- और साल 2010 में बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए हरियाणा के प्रथम नागरिक, माउंट एवरेस्ट- ईको एक्सपिसिशन ( नेपाल ) में 29038 फुट,
- इसी वर्ष द्वीप शिखर ( नेपाल ) पर 20589 फुट,
- साल 2012 में एमटी किलिमांजारो ( यह तंजानिया क्षेत्र अफ्रीका का सबसे ऊंचा शिखर ) 19630 फुट,
- इस वर्ष 2012 में माउंट एलब्रस ( रूस व यूरोप ) पर 18788 फीट एवं
- साल 2013 में माउंट एन्कैकागुआ अर्जेंटीना (दक्षिण अमेरिका के सर्वोच्च शिखर) आदि की सबसे ऊंचे शिखरों चढ़ाई की।
ममता सोधा के मिला पद्यश्री सम्मान । Mamta sodha Awards -
भारत के स्वर्णिम इतिहास में पर्वतारोही पद्मश्री ममता सौदा का नाम स्वर्णाक्षरों में दर्ज है। भारत की पांचवें नंबर की पर्वतारोही बेटी पद्मश्री ममता सौदा की प्रतिभा का सम्मान हरियाणा सरकार ने उप पुलिस अधीक्षक के पद से सम्मानित करते हुए किया साथ ही भारत सरकार ने इनके पराक्रमी जज्बे का सम्मान वर्ष 2014 में देश का चौथा सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री देकर इनके नाम को ही नहीं इनके कार्यक्षेत्र, इनकी कार्य कुशलता, इनकी मेहनत, इनके परिश्रम, इनके मजबूत इरादों, इनकी लगनशीलता, इनके पराक्रम, इनके हौसले का सम्मान किया है।
बुलंद हौसले एवं एक खिलाड़ी के रूप में ममता सौदा को कई सम्मान मिले जैसे वर्ष 2010 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पुरस्कार, महिला शक्ति गौरव सम्मान, डॉ. भीमराव अम्बेडकर रतन, वर्ष 2011 हिंदुस्तान टाइम्स से सच्चा हीरो पुरस्कार, साल 2011 में राष्ट्रीय साहसिक क्लब द्वारा भारतीय गौराव पुरस्कार, कल्पना चावला शौर्य पुरस्कार-2011 इसी वर्ष तेनजिन नोर्गे राष्ट्रपति एडवेंचर अवार्ड एवं वर्ष 2014 सबसे बड़ा सम्मान पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।
वर्ष 2010 में ही भारत सरकार द्वारा इन्हें तेन्जिंग नारगे पुरस्कार, हरियाणा सरकार द्वारा 2.1 मिलियन नकद पुरस्कार, नेपाल पर्वतारोहण संघ द्वारा इमजात्से चोटी पर चढ़ाई का प्रमाण पत्र आदि विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। महिलाओं के रक्त में जोश-जुनून की प्रवाह को आगे बढ़ा रही ममता सौदा दलित समाज ही नहीं अपितु सर्व समाज में शिक्षा, सभ्यता, सम्पन्नता के प्रति सजग प्रहरी की भूमिका निभा रही हैं।
आशीष भारती, सहारनपुर ( उत्तर प्रदेश )