सावित्रीबाई फुले का जीवन परिचय | Savitribai Phule Biography in Hindi.
Savitribai Phule Biography in hindi. सदियों से भारतीय समाज में किसी न किसी रूप में सामाजिक कुरीतियों रही है । 17 वी और 18 वी शताब्दी में इन कुरूतियों की भरमार थी । जैसे बाल विवाह, पर्दा प्रथा, छुआछूत, विधवाओं का बहिष्कार, अशिक्षा आदि । इन कुरूतियों को दूर करने के लिए कई समाज सुधारक इस धरती पर आए और समाज को एक नई दिशा दी ।
सावित्रीबाई फुले ( Savitribai phule ) भी उनमें से एक थी । जो हमारे देश की प्रथम महिला शिक्षिका एवं महान समाज सुधारक थी। इन्होंने समाज के शोषित वर्ग के उद्धार के लिए अनेक प्रयास किए। स्त्री शिक्षा के लिए, बाल विवाह, सती प्रथा, छुआछूत रोकने के लिए प्रयास किए। इन्होंने अपना पूरा जीवन समाज के लिए समर्पित किया और संघर्षपूर्ण जीवन जिया। सावित्रीबाई फुले एक महान, दृढ़ निश्चय और स्वाभिमानी महिला थी जिन्होंने बिना झिझक और निडरता से समाज के लोगों का विरोध का सामना करके समाज के कल्याण के लिए अनेक प्रयास किए । तो चलिए जानते है - Savitribai Phule Biography in hindi -
- नाम -सावित्री बाई फुले
- पूरा नाम - सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले
- जन्म - 3 जनवरी 1831
- जन्म स्थान - सतारा जिला, महाराष्ट्र
- पिता का नाम - खांडोजी नेवेशे पाटिल
- माता का नाम - लक्ष्मी बाई
- पति का नाम - ज्योतिराव फुले
- मृत्यु - 10 मार्च 1897
- पहचान - कवि, प्रथम शिक्षिका, समाज सुधारक ।
Also read -
◆ रानी कमलापति का जीवन परिचय । Rani kamlapati biography in hindi.
◆ आजाद हिंद फौज के नायक जियालाल जीवन । Jiyalal jiwan biography in hindi.
सावित्री बाई फुले का जन्म एवं प्रारम्भिक जीवन । Savitribai Phule Biography in Hindi -
सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के नया गांव में एक दलित परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम खांडोजी नेवेशे पाटिल और माता का नाम लक्ष्मीबाई था। सावित्रीबाई फुले का मात्र 9 वर्ष की आयु में महात्मा ज्योतिबा फुले से सन 1840 में विवाह हो गया था।
महात्मा ज्योतिबा फुले स्वयं एक महान समाजसेवी थे । उन्हें महाराष्ट्र के महान समाज सुधारको में गिने जाते थे । उन्होंने अपना जीवन समाज की सेवा में व्यतीत किया। महात्मा फुले सावित्रीबाई फुले के पति होने के साथ-साथ उनके गुरु शिक्षक व पथ प्रदर्शक थी।
सावित्रीबाई फुले जब छोटी थी तब वे पढ़ना चाहती थी लेकिन उनसे यह कह दिया जाता था कि शिक्षा का अधिकार केवल उच्च वर्गीय पुरुषों को है। उस समय कन्याओं का पढ़ना लिखना बुरा माना जाता था। तब से वह स्त्रियों और दलितों को समाज में उचित अधिकार दिलाने के लिए सोचने लगी। जब उनका विवाह ज्योतिबा फुले से हुआ तब वह भी तीसरी कक्षा तक ही पड़े थे। आगे चलकर ज्योतिबा ने सावित्रीबाई को पढ़ाने लिखाने में सहयोग किया। ऐसा माना जाता था कि Savitri bai fule की शिक्षा शादी के बाद शुरू हुई थी ।
महिला शिक्षा और सशक्तिकरण में सावित्रीबाई की भूमिका । Role of Savitribai Phule in Woman Education and Empowerment -
सावित्रीबाई ने अपने पति के साथ मिलकर नौ अलग-अलग जाति की कन्याओं को एकत्रित किया और देश का पहला कन्या विद्यालय खोला। परंतु इसका विरोध भी उन्हें झेलना पड़ा। जब भी पढ़ाने के लिए विद्यालय जाती थी तब विरोधी लोग उन पर पत्थर और गंदगी फेंकते थे। वे अपने थैले में एक अतिरिक्त साड़ी लेकर जाया करती थी ताकि विद्यालय जाकर बदल सके। इतने विरोध के बाद भी उनका आत्मविश्वास नहीं डगमग आया। वह निरंतर आगे बढ़ती रहती । उनकी बालिकाओं को पढ़ाने की मुहिम सफल हुई और 1 साल के भीतर ही उन्होंने पति के साथ मिलकर पांच और विद्यालय खोलें। इसी प्रकार लगभग 18 विद्यालय खोले गए।
सावित्रीबाई ने पहला विद्यालय 3 जनवरी 1848 को खोला जो कि पुणे के भिड़ेवाडी इलाके में था। इसके बाद खुले दंपत्ति ने 1851 में पुणे के रास्ता पेठ में, 15 मार्च 1852 में बताल पेठ में कन्या शाला खोला। और इसी प्रकार उन्होंने और विद्यालयों की स्थापना की।
सन 1852 में तीन स्कूल फुले द्वारा संचालित किए जा रहे थे । उस दौरान 16 नवंबर को तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने फुले परिवार को शिक्षा के क्षेत्र में उनके अग्रणीय योगदान के लिए सम्मानित किया । सावित्रीबाई फुले को सर्वश्रेष्ठ शिक्षिका का दर्जा दिया गया । उन्होंने सबसे पहले उन जातियों के छात्रों को पढ़ना शुरू किया जिन्हें अस्पृश्य व अछूत समझा जाता था ।
Savitribai Phule Biography in hindi.
सावित्रीबाई और ज्योतिबा फुले ने 28 जनवरी 1853 को बाल हत्या प्रतिबंधक गृह की स्थापना की। यहां पर शोषित गर्भवती महिलाओं को आश्रय दिया जाता था उस समय जो विधवा महिलाएं व बालिकाएं शोषण का शिकार होती थी वह सामाजिक बहिष्कार और क्रूरता के चलते आत्महत्या शिशु हत्या का मार्ग चुन लेती थी। उन्हें बचाने व आसरा देने के लिए खुले दंपत्ति ने यह गृह खोला था। उस समय विधवाओं के बाल मुंडवाए जाते थे, इसका विरोध करने के लिए उन्होंने नाइयों की हड़ताल करवाकर विधवा केशवपन करने के लिए जोर दिया।
फुले दंपत्ति ने 24 सितंबर 1873 को सत्यशोधक समाज की स्थापना की। जिसका उद्देश्य दलित वर्ग के लोगों को उच्च वर्गीय लोगों द्वारा किए जा रहे शोषण से मुक्ति दिलाना, उन्हें शिक्षा दिलाना, पढ़े-लिखे दलित युवाओं को रोजगार दिलाना, धार्मिक एवं जातीय उत्पीड़न को रोकना, सामाजिक हितों के लिए एकता का भाव जागृत करना था। सावित्रीबाई फुले एक प्रतिभाशाली कवियत्री भी थी उन्होंने ’काव्य फुले’ व ’बावन कशी सुबोध रत्नाकर’ की रचना की।
सावित्रीबाई फुले की मृत्यु । Savitribai Phule Death day -
28 नवंबर 1890 को महात्मा ज्योतिबा फुले का बीमारी के चलते निधन हो गया। उनकी मृत्यु के पश्चात उनके सभी कार्यों को सावित्रीबाई ने अकेले संभाला और पूर्ण करने का प्रयास किया। 1897 में सावित्रीबाई प्लेग के मरीजों की सेवा करते हुए स्वयं प्लेग से ग्रसित हो गई और इस बीमारी के चलते इसी वर्ष उनकी 10 मार्च को मृत्यु हो गई।
समाज में व्याप्त सदियों पुरानी सामाजिक कुरीतियों एवं बुराइयों को जड़ मिटाने और उसके द्वारा किए गए सुधारों की समृद्ध विरासत में Savitribai phule का अथक प्रयास हमारी पीढ़ियों को प्रेरित करता है । उनके प्रयासों को अक्षुण्ण बनाने के सन 1983 में पुणे सिटी कॉरपोरेशन द्वारा एक स्मारक बनाया गया था । भारतीय डाक विभाग ने 10 मार्च 1998 को उनके सम्मान में डाक टिकट जारी भी किया । वही साल 2015 में पुणे विश्वविद्यालय का नाम बदलकर सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय कर दिया गया था । इतना ही नहीं सन 2017 में सबसे बड़ा सर्च इंजन गूगल ( Google ) ने गूगल डूडल के साथ Savitribai phule की 186 वीं जयंती मनाई ।
सावित्रीबाई फुले ( Savitribai phule ) प्रथम महिला शिक्षिका कवियत्री एवं समाज सुधारक जिन्होंने निस्वार्थ व दृढ़ निश्चय होकर नारी सशक्तिकरण व दलितों के उत्थान के लिए प्रयास किया। उनका जाना समाज के लिए एक बहुत बड़ी क्षति थी। उन्होंने अपने जीवन में एक लक्ष्य बनाया और सदा उस लक्ष्य पर अधिक होकर चलती रही। वह इस समाज के लिए एक आदर्श है।। नेहा श्रीवास्तव ।।
I am really impressed with your blog article, such great & useful knowledge you mentioned here. Your post is very informative. I have read all your posts and all are very informative. Thanks for sharing and keep it up like this. Essay on Savitribai Fule in Hindi
जवाब देंहटाएं