रानी कमलापति का जीवन परिचय व इतिहास । Rani kamlapati biography in hindi.

रानी कमलापति का जीवन परिचय व इतिहास । Rani kamlapati biography in hindi.


Rani kamlapati biography in hindi.

Rani kamlapati biography in hindi. रानी कमलापति भोपाल ( मध्यप्रदेश ) की अन्तिम गोड़़ महिला शासक थीं। उनके बारे में कहा जाता है कि वे बहुत ही खूबसूरत थीं। कमल की तरह सुंदर दिखने के कारण उनका नाम कमलापति रखा गया था। रानी कमलापति बचपन से ही खूबसूरत होने के साथ-साथ बहुत ही बहादुर, साहसी एवं दृढ़ निश्चय महिला थीं। अपनी कुशाग्र बुद्धि और नेतृत्व की क्षमता के कारण उन्होंने अपने पति निजाम शाह की मृत्यु के बाद कई वर्षों तक गिन्नौरगढ़ एवं भोपाल में अंतिम महिला गोड़़ शासक के रूप में कुशलता पूर्वक  शासन किया ।  इनकी खूबसूरती और वीरता के बारे में एक कहावत भोपाल और उसके आसपास के क्षेत्रों में कही जाती है -

ताल तो भोपाल ताल, बाकी सब तलैया ।
रानी तो कमलापति, बाकी सब रनैया ।।

आपकी जानकारी के लिए बता दे वर्तमान में जल जौहर करने वाली अंतिम हिन्दू रानी कमलापति ( Rani kamlapati ) के नाम से वर्ल्डक्लास लेवल का भोपाल में बहुत शानदार रेलवे स्टेशन बनाया गया । जिसका लोकार्पण 14 नवम्बर को किया था । तो चलिए जानते है - हिन्दू रानी कमलापति का जीवन परिचय व इतिहास । Rani kamlapati biography in hindi -

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हिन्दू रानी कमलापति का जीवन परिचय व इतिहास । Rani kamlapati biography in hindi -

सोलहवीं शताब्दी में रानी कमलापति का जन्म सलकनपुर (वर्तमान में सीहोर जिला का एक हिस्सा)  रियासत में राजा कृपाल सिंह सरौतिया के महल में हुआ था। बचपन से ही पढ़ाई के साथ-साथ घुड़सवारी, मल्लयुद्ध, तीर कमान चलाने में उन्हें महारत हासिल थी। अनेक कलाओं में  कुशल प्रशिक्षण से पारगंत राजकुमारी सेनापति बनी। उन्होंने अपने साथ एक महिला दल को भी युद्ध के लिए तैयार किया।
वह अपने पिता के सैन्य बल और अपनी महिला साथी दल के साथ युद्धों में शत्रुओं से लोहा लेती थीं। पड़ोसी राज्य अक्सर खेत- खलिहान, धन संपत्ति लूटने के लिए आक्रमण कर दिया करते थे। ऐसे में सलकनपुर राज्य के देखरेख की पूरी जिम्मेदारी राजा कृपाल सिंह और उनकी बेटी राजकुमारी कमलापति की थी।

अन्तिम हिन्दू रानी के रुप में कमला पति । Rani kamlapati Last hindu Queen.

रानी कमलापति के साहस और खूबसूरती के चर्चे चारों ओर होने लगे सोलवीं सदी में भोपाल से 55 किलोमीटर दूर 750 गांव को मिलाकर गिन्नौड़गढ़ राज बनाया गया जो देहलावाड़ी के पास आता है। इसके राजा सूरज सिंह शाह थे।इनके पुत्र निजाम शाह,जो कि बहुत बहादुर, निडर तथा हर कार्य क्षेत्र में निपुण थे ,उन्हीं से रानी कमलापति का विवाह हुआ। सन् 1710 में भोपाल की ऊपरी झील के आसपास का क्षेत्र भीड़ और गोंड आदिवासियों ने बसाया था तत्कालीन गोंड सरदारों में निजाम शाह सबसे मजबूत माने जाते थे।

निजाम शाह की  सात पत्नियां थी जिनमें रानी कमलापति  सातवें नंबर की थीं। निजाम शाह अपनी पत्नी रानी कमलावती से बहुत  प्रेम करते थे। निजाम शाह ने रानी कमलापति को प्रेम स्वरूप की 1720 में एक सात मंजिला महल का निर्माण कराया । यह सात मंजिला महल अपनी सुंदरता, भव्यता और खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध था। रानी कमलापति का वैवाहिक जीवन काफी खुशहाल था। राजा निजाम शाह और कमलापति का एक पुत्र था, जिसका नाम नवल शाह रखा गया।

वे राजा निजामशाह की सातवीं पत्नी थीं। रानी कमलापति अपने पति के साथ राजकीय कार्य जैसे जनता की परेशानियों को समझना, राज्य की गोंड़ संस्कृति पर ध्यान देना एवं राजकीय वित्तीय कोष का हिसाब रखना आदि कार्य में सहयोग देती थी। गिन्नौरगढ़ की उन्नति और रानी की खूबसूरती आसपास के राजाओं को खटकने लगी। गिन्नौरगढ़ के पास ही निजाम शाह के भतीजे आलम शाह जो की बाड़ी रियासत का शासक था । चाचा -भतीजा में रियासत को लेकर भी अनबन शुरू हो गई थी। उनका भतीजा आलम शाह चाचा की रियासत हड़पना चाहता था। 

इसी लालच के चलते एक दिन उसने अपने चाचा को खाने पर बुलाया और उसके भोजन में जहर मिलाकर उनकी हत्या कर दी । अब उसकी नजर  रानी कमलापति और उसके  राज्य पर थी। अपनी सुरक्षा के लिए रानी अपने बेटे नवल शाह को लेकर गिन्नौरगढ़ से भोपाल कमलापति महल में आकर रहने लगी। लेकिन उनके मन में अपने पति की हत्या का बदला लेने का भाव मुझे बेचैन कर रहा था। सेना और पैसे के अभाव में वे बदला लेने में असमर्थ थीं।

History of Rani Kamlapati in hindi.

रानी कमलापति का इतिहास । History of Rani Kamlapati in hindi -

क्योंकि रानी कमलापति 18वीं शताब्दी की एक सशक्त महिला शासक थी उसी समय अफगान से दोस्त मोहम्मद खान कि मुगल सेना द्वारा निष्कासित कर देने के बाद भोपाल आया और उसने जगदीशपुर जिसे आज इस्लामनगर के नाम से जाना जाता है । वहां अपना डेरा जमाया रानी की प्रशंसा सुनकर वह भी उनसे दोस्ती करना चाहता था और उसकी सशक्त सेना देखकर रानी ने उसकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया और उससे अपने पति का बदला लेने के लिए मदद मांगी। मोहम्मद खान तैयार हो गया और इसके बदले में उसने रानी से एक लाख अशर्फियां की मांग की जिसे रानी ने सहर्ष स्वीकार कर लिया । 

दोस्त मोहम्मद खान की मदद से रानी ने अपने पति निजाम शाह की हत्या का बदला आलम शाह से ले लिया और उसकी रियासत को अपनी रियासत में मिला लिया । अपने वादे के मुताबिक रानी एक लाख अशर्फियां मोहम्मद खान को नहीं दे पाई तो इसके बदले में उन्होंने भोपाल का एक हिस्सा मोहम्मद खान को दिया जिसे पाकर मोहम्मद खान बहुत प्रसन्न हो गया।

Rani kamlapati एक अंतिम गौड़ हिन्दू रानी थी । जो उस दौर की सबसे सुंदर रानियों में से एक थी । वह न केवल खूबसूरत थी बल्कि एक बहादुर रानी थी । उन्होंने अपने आत्मसम्मान एवं स्त्रीत्व की रक्षा के लिए स्वयं को जल समाधि में लीन कर दिया । जिससे उनके जीते जी दुश्मन न तो दौलत लूट पाया और न ही स्त्रीधन । 


रानी कमलापति का संघर्ष । Hindu Rani Kamlapati struggle -

चूंकि मोहम्मद खान अफगान से आया था। अतः अफगान से मोहम्मद खान के पास अफगानियों का भोपाल आना- जाना लगा रहता । रानी के भव्य शासन और सुंदरता देखकर उनका मन ललचाने लगा और वे रानी और राज्य दोनों को हड़पना चाहते थे । इसके लिए अफगानियों  ने दोस्त मोहम्मद खान को बरगलाया ।
जब रानी  को मोहम्मद खान के इरादों और साजिश की भनक लगी तो उन्होंने मोहम्मद खान को चेतावनी भेजी। लेकिन उसके बदले में मोहम्मद खान ने रानी से समर्पण या युद्ध की बात की। Rani kamlapati के आत्मसम्मान को यह बात गंवारा नहीं हुई और उन्होंने अपनी सेना जिसके सेनापति कुंवर नवलशाह  थे को युद्ध के लिए भेजा। जिस जगह सेना का युद्ध हुआ था वह खून से लाल हो गई। जिसे आज भी भोपाल में लाल घाटी के नाम से जाना जाता है।

 जब कुंवर नवलशाह युद्ध में शहीद हो गए तो युद्ध में बचे दो लड़ाके जो जान बचाते हुए मनुआभान की पहाड़ीपृ पहुंचे और वहां काला धुआं कर संकेत किया कि हम युद्ध हार गए हैं । Rani Kamlapati ने विषम परिस्थिति को देखते हुए बड़े तालाब का संकरा रास्ता खुलवाया जिससे बड़े तालाब का पानी बहकर छोटे तलाब में आने लगा। इसमें रानी ने महल की समस्त धन-दौलत, आभूषण डालकर स्वयं भी जल समाधि ले ली। उनका यह "जल जौहर" भोपाल राज्य के प्रति उनका प्रेम, समर्पण, साहस त्याग और नारी अस्मिता की रक्षा के कारण इतिहास में सदैव याद किया जाएगा । 

रानी कमलापति के नाम से रेलवे स्टेशन । Rani kamlapati Relve station.

सन 1722 में रानी कमलापति द्वारा कमलापति महल बनवाया गया | यह महल 18 वीं सदी में निर्मित तत्कालीन राज्य के स्थापत्य कला का सर्वोत्तम उदाहरण माना जाता है । इस महल को भारतीय पुरातत्व पुरातात्विक स्मारक के रूप में भारत सरकार द्वारा 1989 में संरक्षित घोषित किया गया। तभी से ये भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है। 16 अप्रैल 18 सो 53 को 14 कोच और 400 पैसेंजर के साथ भारत की पहली ट्रेन मुंबई से ठाणे के लिए रवाना हुई ।
बाद में बढ़ती जरूरतों को देखते हुए 1901 में रेलवे बोर्ड का गठन किया गया। 

1947 में आजादी के बाद भारतीय रेल का 55 हजार  किलोमीटर का नेटवर्क था। 1952 में मौजूदा रेलवे नेटवर्क को एडमिनिस्ट्रेटिव पपर्स के लिए  6 जोन में डिवाइड किया गया । इसके बाद कई स्टेशन बनाए गए, जिनमें हबीबगंज भी शामिल था।

1979 में हबीबगंज रेलवे स्टेशन का निर्माण किया गया।
इस जगह का नाम पहले शाहपुर था । हबीब का अर्थ होता है हरियाली और सुंदरता। भोपाल के नवाब की बेगम को यह जगह यहां की हरियाली सुंदरता केवल कारण बहुत पसंद आई थी और उन्होंने इस जगह को हबीब नाम दिया और 1979 में स्टेशन के विस्तार के लिए अपनी बहुत- सी जमीन दान में दे दी। तभी से उनके नाम पर इस स्टेशन का नाम हबीबगंज रखा गया।
14 नवंबर सन 2021 को अंतिम गोंड़ रानी कमलापति ( Rani kamlapati ) के नाम पर भोपाल के हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर कमलापति रेल्वे स्टेशन रखा गया । यह रेलवे स्टेशन बहुत ही भव्य एवं वर्ल्ड क्लास है । जहा पर एयरपोर्ट जैसी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी ।

डा. वर्षा चौबे, भोपाल, मध्यप्रदेश।
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