राजकुमार सचिनदेव बर्मन की जीवनी । S. D. Burman biography in hindi.
S. D. Burman biography in hindi. संगीत वह धुन होती है जिस पर अच्छे अच्छो के पैर थिरकने लग जाते है । संगीत के कारण कोई भी गीत, फ़िल्म हिट या सुपरहिट होती है । उनके गाने हर किसी की जुबां पर गुनगुनाने लगते है । असल में संगीत एक ऐसी धुन है किसी भी गाने या फ़िल्म को मनमोहक बनाती है जिसमें कई प्रकार के वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया जाता है ।
जी हां आज हम एक ऐसे महान संगीतकार के बारे में बताने जा रहे है जिन्होंने संगीत की खातिर अपना राजपाट राजघराना त्याग दिया था । जिन्होंने संगीत को नई ऊंचाई दी । जिनका संगीत आज भी सुना जाता है । जिनका नाम राजकुमार सचिन देव बर्मन ( Rajkumar sachin dev Burman ) है । जिन्हें भारतीय सिनेमा में एस डी बर्मन ( S. D. Burman ) नाम से जाना जाता है । S. D. Burman एक महान संगीतकार थे जिनकी ख्याति विदेशो में भी फैली हुई थी । तो चलिए जानते है Bio4hindi में राजकुमार सचिन देव बर्मन की जीवनी । S. D. Burman biography in hindi -
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राजकुमार सचिनदेव बर्मन की जीवनी । S. D. Burman biography in hindi.
राजकुमार सचिनदेव बर्मन भारतीय हिंदी सिनेमा के संगीतकारों की अगर पंक्ति के सिरमौर संगीतकार और गायक थे जिनका जन्म 1 अक्टूबर 1906 को त्रिपुरा के महाराजा नबादीपचन्द्र देव बर्मन के महल में उनकी पांच संतानों में सबसे छोटे पुत्र के रूप में हुआ था जिनकी माता उनके जन्म के दो वर्ष बाद इस दुनिया से चल बसी थीं ।
उन्होंने अपना कैरियर बंगाली फिल्मों से शुरू किया और बाद में हिंदी फिल्मों में पदार्पण किया । एक सफलतम संगीतकार बने इस तरह सचिनदेव बर्मन हिंदी फिल्मों में बतौर संगीतकार, फोक आर्टिस्ट, गायक, संगीत निर्देशक के रूप में स्थापित हुए वे सरोद, सितार, सारंगी, तबला वादन में भी सिद्धहस्त थे ।
राजकुमार सचिन देव बर्मन की शिक्षा | Rajkumar sachin dev burman education.
राजकुमार सचिनदेव बर्मन ( S. D. Burman ) ने अगरतला त्रिपुरा के बोर्डिंग से 1920 में मैट्रिक परीक्षा पास की । इस समय इनकी उम्र 14 वर्ष थी । इसके उपरांत उन्होंने क्वींस विक्टोरिया कॉलेज कोमिल्ला से 1924 में बी ए पास किया और कलकत्ता यूनिवर्सिटी में एम ए की पढ़ाई के लिए एडमिशन लिया लेकिन यहां तक पढ़ाई करने के बाद उनका मन आगे पढ़ने में नहीं लगता था क्योंकि वे संगीत को चाहने वाले थे और संगीतकार बनना चाहते थे । इसलिए उन्होंने अब संगीत की ओर रुख किया और 1925 से आगे कई वर्षों तक संगीत की शिक्षा ली । उस दौर के महान संगीतज्ञों के सी डे, खलीफा बादल खान, उस्ताद अल्लाउद्दीन खान से भी संगीत ज्ञान प्राप्त किया ।
राजकुमार सचिन देव बर्मन का संगीत सफर । S. D. Burman career -
कुमार सचिनदेव बर्मन ने अपने संगीत के सफर की शुरुवात 1930 में कलकत्ता रेडियो स्टेशन पर बतौर गायक के रूप में की । जहां उन्होंने बंगाली पारंपरिक गीत और सेमिक्लासिकल हिंदुस्तानी संगीत को गाया । उनका पहला रेकॉर्ड 1932 में रिलीज हुआ जो 78 RPM की ग्रामोफोन LP में रिकॉर्ड हुआ था । 1934 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी द्वारा अखिल भारतीय संगीत सम्मेलन में उन्हें आमंत्रित किया गया जहां उन्होंने बंगाली ठुमरी गाई जिसे विजयलक्ष्मी पण्डित द्वारा खूब सराहा गया । इसके बाद उन्हें बंगाल संगीत सम्मेलन में आमंत्रित किया गया जहां गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टैगोर द्वारा उन्हें स्वर्ण पदक प्रदान किया गया ।
सचिनदेव बर्मन ( S. D. Burman ) ने कलकत्ता के साउथ एंड पार्क में अपना निवास बनवाया और अपनी एक संगीत शिष्या मीरा दस गुप्ता से ब्याह किया जो ढाका के मजिस्ट्रेट रायबहादुर कमलनाथ दस गुप्ता की पोती थीं । राजघराने के नियमों के अनुसार प्रारंभ में इस शादी को स्वीकार नहीं किया गया क्योंकि मीरा दास किसी राजघराने परिवार से नहीं थीं । इस ब्याह का बहुत विरोध किया गया लेकिन सचिन देव बर्मन अपने इरादों से बिल्कुल नहीं डिगे और वे सन 1944 में त्रिपुरा राजघराने को त्याग कर बम्बई आ गए ।
S. D. Burman biography in hindi.
इस दौरान उन्हें एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई जिनका नाम था राहुलदेव बर्मन जो बाद में हिंदी फिल्मों के एक बहुत बड़े संगीतकार गायक बने । बम्बई में उस दौर के बड़े फिल्म निर्माता शशधर मुखर्जी ने उन्हें बड़े अभिनेता अशोकुमार की शिकारी और आठ दिन नामक दो फिल्मों में संगीत देने का अनुरोध किया । इसके बाद सचिनदेव बर्मन ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा । कई नामी गिरामी फ़िल्म कम्पनियों की फिल्मों के लिए उन्होंने अपना मधुर संगीत रचा जो देश भर में जनता द्वारा बहुत पसन्द किया गया । लगभग 100 भारतीय हिंदी फिल्मों में अपने संगीत की स्वर लहरियों से उन्होंने उन फिल्मों के गीतों को ऊंचाई प्रदान की ।
वे अपने काम की क्वालिटी का सदा ध्यान रखते थे और साल भर में केवल दो फि फिल्मों का काम हाथ मे लेते थे । उन की कुछ फिल्में इस प्रकार से हैं नौजवान, प्यासा, कागज के फूल, देवदास, फंटूश, सोलवा साल, सुजाता, बंदिनी, ज्वेल थीफ, गाइड, फ़िल्म मेरी सूरत तेरी आंखें का गीत पूछो न कैसे मैंने रेन बिताई राग, अहीर भैरव पर जबकि फ़िल्म तलाश का गीत तेरे नैना तलाश करें जिसे वो है राग छाया नट पर आधारित हैं । और भी कई बेमिसाल फिल्मों के नाम उनके संगीत सफरनामे के खाते में दर्ज हैं ।
प्यासा फ़िल्म के गीत संगीत को ब्रिटिश फ़िल्म इंस्टिट्यूट द्वारा बेस्ट म्यूजिक फिल्म्स का दर्जा दिया गया था । उनके द्वारा रचे गए साभि गीत राग रागिनियों पर आधारित हैं कई गीत शास्त्रीय संगीत पर रचे गए उस दौर के तकरीबन सभी फ़िल्म निर्माताओं, गायकों, गायिकाओं, अभिनेता, अभिनेत्रियों के साथ उन्होंने बहुत शानदार काम किया । फ़िल्म इंडस्ट्री में उनका नाम आज भी बड़े सम्मान से लिया जाता है ।
1969 की फ़िल्म आराधना से उन्होंने कई नए कलाकारों को फ़िल्म और गीत संगीत के प्रेमियों से रूबरू करवाया । शक्ति सामंत, किशोर कुमार, आनन्द बक्शी इन सभी कलाकारों को इसी फिल्म से पहचान मिली । इस फ़िल्म के एक गीत मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू ... में उनके संगीतकार गायक पुत्र राहुलदेव बर्मन द्वारा माउथ ऑर्गन बजाया गया है ।
राजकुमार सचिनदेव बर्मन अवार्ड्स और पारितोषिक । S. D. Burman awards -
हिंदी फिल्मों के सफलतम संगीतकार सचिनदेव बर्मन को भारत सरकार द्वारा 1969 में पद्मश्री से अलंकृत किया गया था । लेकिन इसके अलावा भी उन्हें लगभग 12 विभिन्न अवार्ड्स समय समय पर उनके कार्य के लिए दिए गए हैं । अपने संगीत में उन्होंने पारंपरिक लोक गीतों की मिठास को बरकरार रखा और पारंपरिक वाद्य यंत्रों का खूब इस्तेमाल भी किया । उनकी अपनी एक विशेष शैली थी जहां दूसरे संगीतकार संगीत बनाने के लिए पियानो या हारमोनियम उपयोग करते हैं ।
वहीं वे हाथ से ताली बजा कर संगीत की धुन बनाते थे, सचिन दा को पान खाने का बड़ा शौक था और ये पान हमेशा उनकी पत्नी मीरा देवी संतरे के सूखे छिलके के बारीक टुकड़े मिला कर बनाती थीं । बम्बई में उनके बंगले द जेट के पास एक विशेष पान की दुकान थी जहां से उनके लिए पान मंगवाए जाते थे !
सचिनदेव बर्मन की पहली जीवनी ( S. D. Burman biography ) जो अंग्रेजी भाषा मे ऐच क्यू चौधरी द्वारा इंकॉम्पेरेबल सचिन देव बर्मन नाम से लिखी गयी थी । 1 अक्टूबर 2007 को उनके जन्मदिन के 101 वर्ष पूर्ण होने पर भारत सरकार द्वारा एक डाक टिकिट जारी किया गया था । अगरतला में उनके जीवन पर आधारित प्रदर्शनी भी हर वर्ष आयोजित की जाती है साथ ही सचिनदेव बर्मन ( S. D. Burman ) संगीत अवार्ड की भी स्थापना की गई सचिन देव बर्मन संगीत महाविद्यालय त्रिपुरा द्वारा । महान गायक किशोर कुमार से वे आजीवन ऐसे बंधे की वे किशोर कुमार को अपना मानस पुत्र मानते थे और किशोर कुमार भी उन्हें उतना ही सम्मान देते थे ।
राजकुमार सचिन देव बर्मन का निधन | S. D. Burman death -
31 अक्टूबर 1975 के दिन भारतीय फिल्मी दुनिया का ये चमकता सितारा हमेशा के लिए अस्त हो गया और इस दौरान वे अपनी अंतिम फ़िल्म मिली का संगीत बना चुके थे जिसके गीतों के रेकॉर्ड्स को फ़िल्म के रिलीज होने के पहले उन्होंने अस्पताल के पलंग पर लेटे लेटे सुना .......... । ऐसे महान संगीतकार को शत शत नमन । उम्मीद करते है आज की जानकारी S. D. Burman biography in hindi. आपको अच्छी लगी होगी ।
लेखक - डॉ. ओ पी गंगे
(निश्चेतना विशेषज्ञ)
सेंधवा जिला बड़वानी