सरदार वल्लभभाई पटेल जीवन परिचय । sardar vallabhbhai patel biography in hindi.
sardar vallabhbhai patel biography in hindi. सरदार वल्लभ भाई पटेल, भारत के महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक नेताओं में से एक थे। उन्होंने भारत की आजादी के संघर्ष में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए विभिन्न प्रकार के कर के भुगतान के विरोध में जैसे खेड़ा, बारडोली व गुजरात के अन्य क्षेत्रों से किसानों को संगठित किया और गुजरात में एक गैर-हिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन की स्थापना की।
सन् 1920 में वह गुजरात प्रदेश की कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए गए और उन्होंने गुजरात में शराब, अस्पृश्यता और जातीय भेदभाव जैसी भावनाओं का जमकर विरोध किया। Sardar vallabhbhai Patel को सन् 1922, 1924 और 1927 में अहमदाबाद की नगर पालिका के अध्यक्ष के रूप में चुना गया। इतना ही नहीं उन्हें सन् 1931 में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेश के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया ।
भारत की स्वतंत्रता के बाद, वह भारत के पहले गृह मंत्री व उप-प्रधान मंत्री रूप में जाने जाते हैं। 565 अर्द्ध-स्वायत्त रियासतों का एकत्रीकरण करके भारत को एकता सूत्र में बांधने का श्रेय भी इनको ही मिला है। वे एक साहसी और दृढ़ निश्चयी व्यक्तित्व के धनी थे। उन्हें लौह पुरुष के नाम से जाना है।
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वल्लभभाई पटेल का जन्म, आयु, परिवार, मृत्यु । Sardar Vallabhbhai Patel age, death, wife, family.
नाम - वल्लभ भाई झाकेर भाई पटेल।
जन्म - 31 अक्टूबर 1875 को नडियाद में हुआ ।
मृत्यु - 15 दिसम्बर 1950 को मुम्बई में हुई ।
पिता - झवेर भाई पटेल ।
माता - लदबा पटेल ।
पत्नी - 1893 में इनकी शादी झावेरबा पटेल के साथ हुई ।
गृहनगर व - नाडियाड, गुजरात
जाति - पाटीदार
पेशा - वकालत और राजनीति
सरदार वल्लभ भाई का संक्षिप्त परिचय । sardar vallabhbhai patel biography in hindi.
सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म लाडबाई एवं झावरभाई पटेल के घर 31 अक्टूबर 1875 नाडियाड में हुआ है । इनके 4 भाई थे जिनके नाम सोमाभाई पटेल, नर्शिभाई पटेल, विथलभाई पटेल व काशीभाई पटेल एवं इनकी बहन का नाम दहीबेन है जो सबसे छोटी बहन है । इनकी शादी सन् 1891 में झावरबा के साथ हुई । इनके बेटे व बेटी का नाम दाह्यभाई पटेल व मणिबेन पटेल है ।
वल्लभ भाई जो सरदार पटेल के नाम से लोकप्रिय थे एक भारतीय राजनीतिज्ञ थें । उन्होंने भारत के पहले उपप्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वे एक भारतीय अधिवता और राजनेता थें जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और भारतीय गणराज्य के संस्थापक पिता थें जिन्होने स्वतन्त्रता के लिए देश के संर्घष में अग्रणी भूमिका निभाई और एक एकीकृत स्वतंत्र राष्ट्र बनाने में उन्होंने एकीकरण का मार्गदर्शन किया।
विचार - मैने कला या विज्ञान के विषाल गगन में ऊँची उड़ान नहीं भरी। मेरा विकास कच्ची झोपड़ियों में गरीब किसान के खेतो की भूमि और शहरों के गंदे मकानों में हुआ है।
कथन - sardar vallabhbhai patel सही मायनों में मनु के शासन की कल्पना थें। उनमें कौटिलय की कूटनीतिज्ञता तथा महाराज शिवाजी की दूरदर्षिता थी। वल्लभ भाई पटेल केवल सरदार ही नहीं बल्कि भारतीयों के हदय के सरदार थे।
उपलब्धि - भारतीय नागरिक सेवाओं का भारतीयकरण प्रषासनिक सेवाएं (आइ.ए.एस.) बनाने व 562 देषी रियासतों का भारत में एकीकरण करने वाले प्रथम गृहमंत्री थें।
एतिहासिक घटना - वल्लभ भाई पटेल जी के प्रयासों से भारत 562 देशीरियासतों का एकीकरण विष्व इतिहास का आष्चर्य व भारत की रक्तहीन क्रांति थी।
शिक्षा - उनकी शिक्षा मुख्यतः स्वाध्याय से हुई । बेरीस्टर की पढ़ाई लंदन से की । उन्होने बैरीस्टर में सम्पूर्ण ब्रिटिश साम्राज्य के विधार्थियो में सर्वप्रथम स्थान प्राप्त किया था।
प्रेरणा - वे माहात्मा गांधी जी के विचारों व आन्दोलनों से प्रभावित थे।
उपाधि - वल्लभ भाई पटेल को सरदार, लौह पुरुष एवं किंग ऑफ बोरसद की उपाधियों से नवाजा गया ।
सरदार वल्लभ भाई पटेल शिक्षा एवं शुरूआती जीवन । Sardar vallabhbhai patel Education and Early Life -
सरदार पटेल की प्राथमिक एवं माध्यमिक पढ़ाई गुजराती मीडियम स्कूल से सम्पन्न हुई बाद में इंग्लिश मीडियम स्कूल को जॉइन कर लिया । सन 1897 में हाई स्कूल की पढाई पूरी करने के बाद उन्होंने लॉ करने का मन बनाया । सन 1910 में इंग्लैंड चले गये जहां से उन्होंने लॉ की डिग्री सन 1913 में प्राप्त की । कानूनी डिग्री मिलने के बाद वापस भारत आकर उन्होंने गुजरात के गोधरा में कानून का अभ्यास करना आरंभ कर दिया ।
उनकी प्रखर प्रतिभा को देखते हुए तत्कालीन अंग्रेजी सरकार ने जॉब के ऑफर दिए लेकिन उन्होंने ठुकरा दिये । क्योंकि वे अंग्रेजी सरकार के खिलाफ थे । विचार विमर्श के बाद उन्होंने गांधीवादी विचारों को अपनाने का विचार किया ।
सरदार वल्लभ भाई पटेल का राजनीतिक करियर । Sardar vallabh bhai patel Political Career.
सरदार पटेल के राजनीतिक करियर की शुरुआत सन 1917 में हुई जब उन्हें अहमदाबाद के स्वच्छता आयुक्त के रूप में चुना गया । इसके पश्चात भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के द्वारा गुजरात विंग एवं गुजरात सभा के सचिव के रूप में चुना गया । वही सन 1920 में प्रदेश कांग्रेस कमेटी गुजरात के अध्यक्ष के रूप नियुक्त किये गए । प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उन्होंने सन 1945 तक सक्रिय भूमिका निभाने के साथ साथ उन्होंने गाँधी जी द्वारा चलाए जा रहे असहयोग आंदोलन का भरपूर समर्थन किया । इस दौरान श्री पटेल ने गांधी जी पूरे देश में भृमण किया और अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने का सफल प्रयास किया ।
उनकी कार्यशैली को देखते हुए उन्हें कांग्रेस पार्टी के पार्टी अध्यक्ष के रूप में सन 1931 में नियुक्त किए गए । इस कराची सत्र में फैसला लेने के पीछे प्रमुख कारण यह है कि वे राष्ट्र को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में देखना चाहते थे । उन्होंने राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रसार प्रचार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी ।
सरदार पटेल की भारतीय राष्ट्रीय आंदोलनों में भूमिका | Role of Sardar Vallabhbhai Patel in Indian National Movements and Prison -
जब महात्मा गांधी जी ने सन 1930 में नमक सत्याग्रह आरंभ किया तब sardar vallabhbhai patel मुख्य भागीदारी निभाई थी । जिससे उन्हें कई बार जेल यात्रा भी करनी पड़ी । फिर भी इस आंदोलन को सफल बनाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । उनके ओजस्वी भाषण सुनकर अपना दृष्टिकोण बदल दिया ।
जब गुजरात सत्याग्रह के दौरान वे जेल गए तब गांधी जी ने कांग्रेस के सदस्यों से जेल से निकालने का अनुरोध किया । इस अवधि में एक समझौता हुआ जो गांधी इरविन समझौता के नाम से जाना जाता है । यह समझौता तत्कालीन वाइसराय लार्ड इरविन ने महात्मा गाँधी जी के साथ समझौता किया गया । और उसके सन 1931 में सरदार पटेल को जेल से मुक्त कर दिया गया था ।
वही सरदार पटेल ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में अपनी भूमिका निभाई । उन्होंने अपने भाषण के बल पर लोगों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी । हालांकि कई बार आलोचना का भी शिकार होना पड़ा । मगर उन्होंने देशभर में प्रसार प्रचार करने के उद्देश्य से भृमण किया । इस दौरान उन्हें जेल यात्रा भी करनी पड़ी ।
खेड़ा संघर्ष - सरदार वल्लभ भाई पटेल का सबसे बडा योगदान पहला स्वतन्त्रता आन्दोलन खेडा़ सघर्ष से हुआ । 1918 में भयंकर सुखे की चपेट से त्रस्त किसानों का भारी कर में छुट की मांग का अंग्रेज सरकार के विरूद्ध आन्दोलन का नेतृत्व वल्लभ ने किया और सफलता प्राप्त की।
बारडोली सत्याग्रह - भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान 1928 में गुजरात में प्रमुख किसान आंदोलन जो कि लगान में कमी करने के लिए था। वल्लभ भाई पटेल ने लगान वृद्धि का विरोध करते हुए इस सत्याग्रह का नेतृत्व किया जिसमें इनको सफलता मिली। इस सत्याग्रह की सफलता पर बारडोली की महिलाओं ने वल्लभ को सरदार कर उपाधी दी।
स्वतंत्र भारत में सरदार वल्लभ भाई पटेल का महत्वपूर्ण योगदान क्या था । Deshi riyasaton ka ekikaran -
आजाद भारत में गृहमंत्री के रूप् में इनकी पहली प्राथमिकता देशी रियासतों को भारत में मिलाना था जो इन्होने बिना खून बहाये इस कार्य को सम्पादित कर दिखाया। आजाद भारत के देशी रियासतों यानी राज्यों के एककीरण कर दिखाया। इस योगदान के कारण इन्हें लौहपुरूष के रूप में जाना जाता है।
स्वतन्त्रता के समय भारत में 562 देशी रियासतें थी। तीन रियासतें जम्मू एवं कश्मीर, जूनागढ़ तथा हैदराबाद को छोड़कर सभी का एकीकरण करके 9 नवम्बर 1947 को जूनागढ़ तथा 13 सितम्बर 1948 को हैदराबाद को भी कार्यवाही करके एकीकरण किया परन्तु जम्मू कश्मीर को नेहरू जी ने यह कहकर अपने पास रख लिया कि यह एक अन्तराष्ट्रीय समस्या है और पटेल साहब के विचार को दर किनार कर दिया गया परन्तु इस समस्या को निवारण 5 अगस्त 2019 को भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह के प्रथक से जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 (अ) समाप्त करने से हुआ और सरदार वल्लभ भाई पटेल का स्वपन्न भी साकार हुआ।
सरदार वल्लभ भाई पटेल की पुस्तकें । sardar vallabhbhai patel books -
● सरदार वल्लभ भाई पटेल चुना हुआ पत्र व्यवहार।
● आइडियाज आफ ए नेषन वल्लभ भाई पटेल।
◆ सरदार जी के विषिष्ट और अनोख पत्र।
● भारत विभाजन।
● मुस्लमान और शरणार्थी।
● आर्थिक और विदेषी नीति।
● कश्मीर और हैदराबाद।
● गांधी नेहरू एवं सुभाष।
सरदार वल्लभ भाई पटेल के राजनीतिक विचार । Sardar vallabhbhai patel quotes in hindi ;
1. बिना शक्ति के विश्वास ( Believe ) भी व्यर्थ है। विश्वास एवं शक्ति किसी भी कार्य को करने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
2. ऐसे बच्चे जो अपना साथ मुझे दे सकते हैं उनके साथ मैं हंसी-मजाक करता हूँ। जब तक हम अपने अन्दर के बच्चे को बचाए रख सकते है तभी हम अपने जीवन को उस अंधकारमय से दूर रह सकते है जो इंसान के माथे पर चिंता की लकीरें ( Tension ) छोड़ जाती है।
3. यदि हम अपनी सारी दौलत ( wealth ) गवां दें और जीवन भी बलिदान हो जाए तब भी हमें मुस्कुराते रहना चाहिए और ईश्वर एवं सत्य में विश्वास रखकर Happy रहना चाहिए।
4. मनुष्य को हमेशा ठंडा रहना चाहिए उसे कभी क्रोध ( angry ) नहीं करना चाहिए। लोहा भले ही गर्म हो जाए मगर हथौड़े को तो ठंडा ही रहना चाहिए अन्यथा वह स्वयं अपना हत्था जला डालेगा। कोई भी राज्य कितना भी प्रजा पर गर्म क्यों न हो जाये लेकिन अंत में तो उसे ठंडा होना ही पड़ेगा।
5. इस मिट्टी में वाकई कुछ अनूठा है, जो हमे कई बाधाओं के बावजूद भी सदैव आत्माओं का निवास रहा है।
6. जीवन की डोर तो ईश्वर ( God ) के हाथ में है, इसलिए चिंता की कोई बात हो ही नहीं सकती।
7. किसी कार्य को करने में तो मजा ही तब आता है, जब उसमे कोई मुसीबत होती है मुसीबत में काम करना बहादुरी है मर्दों का काम है । कायर होते है जो हमेशा मुसीबतों से डरते हैं लेकिन हम कायर नहीं हैं । हमें मुसीबतों से कभी डरना नहीं चाहिये।
8. एकता ( Unity ) के बिना जनशक्ति भी शक्ति नहीं है जब तक की उसे ठीक से सामंजस्य में ना लाया जाए और उसे एकजुट न किया जाए और तब यह हमारी आध्यात्मिक शक्ति बन जाती है ।
9. देश के हर एक नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह यह महसूस करे की उसका देश आजाद है और अपने देश स्वतंत्रता की रक्षा करना उसका परम् कर्तव्य है। हर indian को यह भूल जाना चाहिए कि वह एक राजपूत है, एक सिख है या जाट । उसे यह सदैव याद रखना चाहिए कि वह एक भारतीय है और उसे अपने देश में हर अधिकार के साथ साथ कुछ जिम्मेदारियां भी हैं।
सरदार बल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय सम्मान । Sardar Vallabhbhai Patel Awards -
◆ अहमदाबाद के हवाई अड्डे का नामकरण ’’सरदार वल्लभ भाई पटेल अन्र्तराष्ट्रीय विमान क्षेत्र रखा गया।
◆ गुजरात के वल्लभ विधानगर में ’’सरदार पटेल विष्वविद्यालय की स्थापना।
◆ सन् 1991 में मरणोपरान्त भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित।
◆ 31 अक्टुबर 2013 के नर्मदा जिलें में पटेल के स्मारक का शिलान्यास।
सरदार वल्लभ भाई पटेल की मृत्यु कब हुई थी । Sardar Vallabhbhai patel Death -
आजाद भारत में Sardar vallabhbhai patel को पहला उप प्रधानमंत्री बनाने के साथ साथ गृहमंत्री एवं राज्यों के सूचना प्रसारण मंत्री के रूप में उन्हें अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया । वे अपनी जिम्मेदारी का अच्छे निर्वाह कर रहे थे कि सन 1950 से उनका स्वास्थ्य की समस्या खड़ी हो गई । स्वास्थ्य रूप से लगातार अस्वस्थ रहने पर उन्हें लगा कि अब अंतिम समय निकट है ।
15 दिसम्बर 1950 के उन्हें अचानक दिल दौर पड़ा । इस बीमारी से गम्भीर रूप से पीड़ित सरदार पटेल ने अंतिम सांस ली । उनके 40 साल बाद यानी मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया ।
स्टेच्यू आफ यूनिटि कहा पर है । Statue of unity
सरदार बांध के सामने नर्मदा नदी के बीच चट्टानी द्वीप साधू बेट विश्व की सबसे ऊँची धातु की मूर्ति सरदार वल्लभ भाई पटेल की ( एक तामूर्ति ) 31 अक्टुबर 2018 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित किया।
जीवन:-
अन्याय के विरोधी।
गरीब परिवार में परिवेष।
बडो का सम्मान करना उनकी पहली प्राथमिकता
सच्चे देषभक्त व सत्याग्रही
वर्णभेद तथा वर्गभेद के कट्टर विरोधी
भारतीय प्रशासनिक सेवाओ के संस्थापक
देषी रियासतों के एकीकरण करने वाले महान योद्धा
ब्रिटिष में बेरिस्टर की पढाई में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले पहले भारतीय ।
वकालता करना पैसा कमाना नही बल्कि सेवा करना ।
वे आजाद भारत के पहले उपप्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री होते हूए भी उनके पास ख़ुद का मकान भी नहीं था।
Sardar vallabhbhai patel अपना कर्तव्य पूरी ईमानदारी, समपर्ण व हिम्मत के साथ पूरा करते थें। उनमें देशप्रेम की भावना कूट कूट कर भरी हुई थी। वे सच्चे देषभक्त थे। उनका सपना एक चमकदार और खुशहाल भारत का था जिसका विश्व में डंका बजे।
भारत को राष्ट्रीय एकता सूत्र में बांधने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देश की आजदी की लडाई में अग्रणी भूमिका निभाई थी। पूरे देष को एकता के सूत्र में बांधने के इनके साहस भरे कार्य के कारण उनके जन्म दिवस 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनया जाता है। ऐसे महान सपूत की स्टेच्यू आफ यूनिटि बनाना हमारे व देश के लिए गौरव की बात है।
रामचन्द्र स्वामी ( अध्यापक ) बीकानेर ।।