अकबर का इतिहास व जीवन परिचय । Akbar history and biography in hindi.

अकबर का इतिहास व जीवन परिचय । Akbar history and biography in hindi. 


Akbar history and biography in hindi.


Akbar history and biography in hindi. भारत की जनता ने अनेक सफल एवं कुशल शासकों के लिए अखबार शब्द का अर्थ सम्मान देने के लिए अरबी भाषा में अकबर शब्द अर्थात महान बड़ा होता है । ऐसे ही भारतीय मुगलकाल में एक मुगल बादशाह हुए थे जिन्होंने मुगलकाल की काया पलट दी । जी हां हम बात कर रहे है मुगल सम्राट अकबर की ।

अकबर एक समझौता वादी शासक था । उनके पास सैन्यबल होते हुए भी खून खराबा बहुत कम पसंद था यही कारण है कि कुछ लोग अकबरपुर देवता के रूप में पूछते थे । Akbar ने अपने जीवन काल में अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना किया तथा संघर्ष में जीवन व्यतीत किया । अकबर ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं था, तथा वह विभिन्न प्रकार पुस्तकों के अध्ययन में रुचि रखता था । तथा उसने अपने महल में कुछ विद्वान  रखे हुए थे । जो उसे विभिन्न प्रकार की पुस्तकों  का ज्ञान दिया करते थे ।

अकबर ने अपने जीवन काल में अनेक युद्ध लड़े, तथा अपनी कुशल युद्ध नीति के कारण विजय प्राप्त की... अकबर ने अपना साम्राज्य विस्तार बहुत दूरी तक फैला लिया था  । असहाय और गरीब लोगों की सहायता के लिए अनेक प्रकार की पद्धतियां विस्तारित की थी । तो चलिए जानते है मुगल सम्राट अकबर का जीवन परिचय । Akbar history and biography in hindi. -

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अकबर का जीवन परिचय | Akbar biography in hindi.

अकबर का जन्म 1542 ईसवी में हुमायूं के प्रवास काल के दौरान उमर कोर्ट में हुआ था । अकबर की मां का नाम हमीदा बानो था । अकबर का राज्य अभिषेक 1556 में काल में हुआ था । 1560 इसवी तक अकबर ने बैरम खां के संरक्षण में शासन किया था बैरम खां को वकील नियुक्त किया गया था सिंहासन पर बैठते ही अकबर ने बैरम खां की सहायता से 15 सौ 56 ईसवी में पानीपत के युद्ध में हेमू विक्रमादित्य को पराजित किया था अकबर का जन्म पूर्णिमा के दिन हुआ था इसलिए उसका नाम बदरूउद्दीन मोहम्मद अकबर रखा गया था ।

अकबर के पुत्रों का नाम | Name of Akbar son's -

1. जहांगीर
2. प्रिंस दानियाल
3. सुल्तान मुराद मिर्जा
4. हुसैन
5.  हसन । लेकिन अकबर के उत्तराधिकारी के रूप में जहाँगीर शासक बना ।

अकबर का इतिहास क्या है ? History of Akbar in hindi. 

बाबर के बाद हुमायूं ने उसकी बिख़री हुई सल्तनत को संभालने का असफल प्रयास किया । धोख़े का मारा हुआ हुमायूं शेरशाह सूरी के भय से विशाल भारत के सिंध प्रांत में दर-ब-दर भटक रहा था । वही अपने खोए हुए राज्य को फिर से प्राप्त करने के लिए संघर्षरत था । तभी वह ईरान के तहमास्य  की सहायता प्राप्त करने के ख्याल से कंधार की और चला । बड़ी मुश्किलों से सेहवान पर उसने सिंध पार किया, फिर बलूचिस्तान के रास्ते क्वेंटा के दक्षिणी मस्तग स्थान पर पहुंचा, जो कि कंधार की सीमा पर था । इस समय यहां पर उसका छोटा भाई अस्करी हमला करके उसको पकड़ना चाहता था ।

उधर उसकी बेग़म, हामिदा जिसकी कोख़ में 8 महीने का शिशु पल रहा था । खुदा ने भटकते हुए हमायु की सहायता के लिए उमर कोट के राजा को भेज दिया । 15 अक्टूबर 1542 को हामीदा ने उमर कोट ने एक शिशु को जन्म दिया । जो आगे जाकर मुगल सम्राट अकबर नाम से प्रसिद्ध हुआ । शायद इस शिशु ( Akbar ) के जन्म से ही हमायुं की किस्मत बदल गई ।

उधर शेरशाह सूरी भी अधिक समय तक हिंदुस्तान पर राज न कर पाया और 22 मई 1545 में चल बसा । और हमायुं को खोई हुई सत्ता हासिल करने का अवसर मिल गया लेकिन उनकी तक़दीर में राजयोग नहीं था और अल्प समय में ही 24 जनवरी 1556 को सीढियो से फिसल कर गिर और मौत हो गई । 

हमायुं की मृत्यु के बाद बेगम हामीदा बानो के सरंक्षक में अकबर ने सत्ता संभाली । अकबर में शिया और सुन्नी मुसलमान का अनोखा संगम था । मुगल शब्द मंगोलिया का अभ्रंश है । उनके पिता सुन्नी मुसलमान थे । उनका माँ एवं उनकी परवरिश करने वाली महामंगा भी शिया थी । यह बात अलग है कि उनका जन्म हिन्दू परिवार में हुआ । अकबर का वास्तविक नाम जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर था ।

 अकबर का शासन in hindi.

शेरशाह सूरी के बेटे इस्लाम शाह को हुमायु ने सन 1555 में पराजित करके दिल्ली पर अधिकार कर लिया । हुमायु की मृत्यु के बाद 14 फरवरी 1556 में अकबर ने राजगद्दी संभाली ।

अकबर की सेना ने पानीपत के दूसरे युद्ध में सन 1556 ई0 मे राजा हेमू को पराजय कर दिया । 
लगे हाथ अकबर  की सेना ने आगरा पर भी अपना आधिपत्य कर लिया । उन्होंने पंजाब के सिकन्दर शाह पर भी शासन स्थापित कर लिया ।

18 वर्ष की उम्र में Akbar ने मालवा व राजपुताना की तरफ कुच किया । औऱ धीरे धीरे 1561 तक समस्त राजपुताना पर अधिकार कर लिया । 1567 में मेवाड़ के चितौड़गढ़ किले पर आक्रमण के बाद सन 1568 को रणथम्भौर किले पर धावा बोल दिया । 

अब अगली नजर गुजरात पर थी जिसे अकबर की सेना ने 1572 में अधिकार कर लिया । वापस लौटते समय फतेहपुर सीकरी को टारगेट बनाया । 1593 में अकबर की सेना ने डेक्कन के सुल्तानों पर अपना आधिपत्य करके असीरगढ़ पर कब्जा कर लिया ।

Akbar की धार्मिक नीति - अकबर एक मुसलमान था पर वह दूसरे धर्म एवं संप्रदायों के लिए भी उसके मन में आदर और सम्मान की भावना विद्यमान थी ।  जैसे-जैसे अकबर की आयु बढ़ती गई वैसे-वैसे उसकी धर्म के प्रति रुचि और आस्था बढ़ने लगी,  उसे विशेषकर हिंदू धर्म के प्रति अपने लगाव के लिए जाना जाता था ।

अकबर के शासनकाल में भारत के हिन्दू मुस्लिम संस्कृति का संगम स्थापित हुआ था । उन्होंने हिन्दुओ पर जजिया कर की समाप्त कर दिया । उन्होंने हिन्दू व मुस्लिम समुदाय को एक दृष्टि से देखा । यही कारण था कि उन्हें  जिल –ए-लाही  की उपाधि प्रदान की गई ।

Akbar history and biography in hindi.

मुगलकाल में अकबर योग्य शासको में से एक था । उसके पास अपार सैन्य शक्ति होते हुए भी वह खून खराबा करने के बजाय समझौता करने में यकीन करता है । युद्ध करना वह अंतिम विकल्प मानता था । साथ ही साथ प्रजा की रक्षा के लिए निरंतर प्रयासरत था ।

काफी हद तक धर्म निरपेक्षता का रवैया अपनाया उन्होंने सभी धर्मों के बारे में जानने के उद्देश्य से सभी धर्मों का आदर करता था । वह दूसरों को उसी राह पर चलने के बजाय स्वयं चलने में यकीन करता था । यही कारण है वह हिन्दू, सिख, ईसाई धर्म के लोगों को स्थान दिया । 

अकबर के शासन काल की प्रमुख घटनाएं -

1. 1562  दास प्रथा का अंत ।
2. 1563 तीर्थ यात्रा कर समाप्त ।
3. 1564 जजिया कर समाप्त ।
4. 1571 फतेहपुर सीकरी की स्थापना ।
5. 1575 फतेहपुर सीकरी में इबादत खाना का निर्माण ।
6. 1580 टोडरमल द्वारा  दहसाल प्रणाली लागू ।
7. 1582  दीन ए इलाही की घोषणा ।

 अकबर के द्वारा लड़े गए युद्ध । Akbar war -

1. मारवाड़ 1568 उधम सिंह
2. रणथंबोर 1569 सज्जन राय हाडा
3. द्धितीय आक्रमण 1572 मिर्जा हुसैन मिर्जा द्वारा किया गया विद्रोह
4. काबुल 1581 हकीम मिर्जा ।

अकबर ने अपने शासन काल मे करीब 500 से अधिक भवन व इमारतों का निर्माण करवाया था । जिसमें से फतेहपुर सीकरी व बुलंद दरवाज़ा मुख्य है । 

अकबर की कितनी पत्नियां थी । Name of Akbar wife's / Queens in hindi.

एक सामाजिक प्राणी होने के नाते मानव अपने रिश्तेदारों को एक विशेष महत्व देता है राजा अकबर के जीवन में भी इस बात का गहरा प्रभाव  देखने को मिलता है, इतिहास में हमने अक्सर पाया है कि राजा अपने नाते रिश्तेदारों के प्रति फल तथा कपट कपटी होते थे परंतु अकबर उन सब शासकों के लिए अपवाद था । मुगल साम्राज्य में ऐसा देखा गया है कि प्रत्येक राज्य की अपनी कई रानियां होती थी अकबर भी इस कड़ी में कुछ अलग नहीं था, अकबर की कुल 7 पत्नियां थी |

1. रुकैया सुल्तान
2.  सलीमा सुल्तान
3.  जोधा बाई
4. बीबी दौलत शाह
5. काशिमा बानू
6. भक्करी बेगम
7. गौहर उन निस्सा ।

 राजा की यह 7 पत्नियां अपने आप में खास तो थी ही साथ ही अकबर के जीवन में इनका खास महत्व था । 

जोधा अकबर की प्रेम कहानी । Jodha Akbar love story in hindi.

अकबर जोधा की प्रेम कहानी का वर्णन किसी ऐतिहासिक पुस्तक अकबरनामा या जहाँगीरनामा में नहीं मिलता है । लेकिन हमारे फ़िल्म निर्माताओं ने Jodha Akbar love story का अच्छे से चित्रण किया था । ये बात अलग है कि अकबर समझौतावादी नीतियों का अनुसरण करता है । वह मानता था कि हिन्दूओ पर राज करने के लिए हिन्दू रीति रिवाजों के अनुसार खुद को ढालना होगा । यही कारण है कि उन्होंने राजपूत राजाओं को अपने अधीन करने के उद्देश्य से राजपूत कन्याओं से शादी की । उदाहरण के लिए पानीपत युद्ध के दौरान आमेर के राजा की कन्या से शादी की थी । लेकिन जोधा बाई का इतिहास में वर्णन नहीं मिलता ।

जोधा अकबर की प्रेम कहानी को हमारे इतिहासकारो ने एक काल्पनिक सचित्रण पेश किया है । माना जाता है कि हिन्दू मुस्लिम संस्कृतियो का समन्वय स्थापित करने का महत्वपूर्ण योगदान दिया है । तो चलिए जानते है जोधा बाई कौन थी -

जोधा एक राजपूत राजकुमारी थी । जिसे हीर कंवर, हरका बाई के नामों से जानी जाती थी । इनके जन्म को लेकर मतभेद हैं पर जोधा का पिता का नाम राजा भारमल एवं माता का नाम रानी मानवती था । जोधा ने अकबर से प्रेम विवाह किया था जिसकी एक संतान थी जिनका नाम जहाँगीर था । हालांकि जहाँगीर से पहले दो संतान हुई थी मगर वो जीवित नहीं रही । अंत मे जहाँगीर हुआ जिन्होंने हिंदुस्तान पर राज किया । 

Akbar history and biography in hindi.

कुछ इतिहासकारों का मानना है कि Jodha Akbar ने प्रेम विवाह न होकर के राजपूत राज्यों की सत्ता हासिल करने के उद्देश्य से समझौता था । उन्होंने जब पानीपत के युद्ध में आमेर के राजा भारमल से लड़ाई लड़ी तो अकबर ने राजा के तीनों राजकुमारों को बंदी बना लिया । तब राजा के सामने अपनी राजकुमारी की शादी अकबर से करने के शिवाय को विकल्प नहीं था । और अकबर ने स्वीकार कर लिया । उसने राजकुमारों को मुक्त कर दिया ।

जोधा का बचपन हिन्दू राजपूत राजा के दरबार में बीता । वह एक निडर व साहसी राजकुमारी थी । यही कारण है कि शादी के बाद जोधा ने अकबर के कार्यो में सहयोग दिया और अकबर के राज्य विस्तार करने सफल बनाया ।

अकबर के शासन काल में हिन्दू मुस्लिम संस्कृति का एक अदभुत समवन्य देखने को मिलता है । इस बात का पुख्ता सबूत है । की जोधा अकबर की प्रेम कहानी का अस्तित्व भी रहा होगा । हालांकि Jodha Akbar love story पर बनी फिल्म के दौरान राजस्थान के राजपूत समाज ने घोर विरोध किया था । इस कहानी को पूर्ण रूप से निराधार बताया । फ़िल्म निर्माता आशुतोष गोवारेकर का कहना था कि जोधा राजपूत राजकुमारी के रूप अकबर की बेगम थी ।

Jodha akbar love story in hindi.


अकबर के दरबार में नौ रत्नों के नाम | Akbar ke 9 ratno ke nam -

अकबर के शासन काल मे नौ रत्नों का बहुत महत्व था । इन रत्नों में विशेष योग्यता वालो विद्वानों एवं बहादुरों को स्थान दिया जाता था । जो राज्य के हितार्थ के लिए कार्य करते है । 

ये रत्न बहुत चतुर, चालाक एवं बुद्धिमान प्रतीत होते थे इनमे से मुख्य बीरबल, मानसिंह, फैजी, टोडरमल, अब्दुल रहीम खान-खाना, अब्दुल फजल, तानसेन, भगवानदास, मुल्ला दो प्याजा आदि थे ।

अकबर के बारे में 5 वाक्य । 5 line about for Akbar. 

1. अकबर 14 फरवरी 1556 में मात्र 14 वर्ष की उम्र में राजगद्दी पर बैठा । Akbar का पूरा नाम जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर था जिसके पास विशाल सेना थी । 
2. अकबर अपने अंतिम क्षणों तक राज्य विस्तार में लगा हुआ । उसने पहला युद्ध राजा हेमू से 1556 में लड़ा । व अंतिम युद्ध 1593 मे डेक्कन के सुल्तानों से लड़ा । 
3. अकबर सभी धर्मों का आदर करता था । उसे दीन ए इलाही की उपाधि प्रदान की गई थी । अकबर ने महाभारत फारसी भाषा में रमजान नाम से अनुवाद बदाँयुनी नकीब खाँ द्वारा करवाया था ।
4. पंचतंत्र का अनुवाद अब्दुल फजल ने अनवर - ए सुहैंली नाम से किया था  ।
5. अकबर के मकबरे का निर्माण जहांगीर द्वारा आगरा के निकट सिकंदरा नामक स्थान पर कराया गया अकबर को सिकंदर की उपाधि दी गई थी क्योंकि उसकी युद्ध करने की रणनीति का कुछ कहना नहीं था ।
6. अकबर अपने साथ युद्ध के दौरान दो घोड़े रखा करता था । तथा बोल लंबी यात्रा दो घोड़ों के माध्यम से आसानी से कर लिया करता था । जब एक घोड़ा थक जाता था । तो वह दूसरे घोड़े पर बैठ जाता था और एक घोड़े को आराम करने दिया जाता था । इस प्रकार वह मीलों का सफर कुछ ही घंटों में तय कर लेता था ।

अकबर की मृत्यु कब हुई | Akbar death -

मुगल वंश का बादशाह अकबर उस काल का सबसे महान शासक था । Akbar के अंतिम दिनों में उनका सैन्य अभियान गुजरात की ओर था । लगातार 3 सप्ताह तक बीमार रहते हुए अकबर की मृत्यु 29 अक्टूबर 1605 को हुई थी । 1558 ईसवी के सबसे करीब सहायक बीरबल की अफगान विद्रोह के दौरान मृत्यु हो गई । इसके अलावा 1595 अकबर के कवि  दोस्त फिरोज की मृत्यु हो गई ।। नैना सोढ़ी ।।

अकबर बीरबल की कहानियां । Akbar birbal ke kisse. -

बीरबल अकबर के नौ रत्नों में से एक था । जो कि बहुत ही बुद्धिमान होने के साथ साथ चतुर एवं चालाक था । जिसे बादशाह अकबर स्वयं भी नहीं जीत सकता था । यही कारण है कि आज भी Akbar Birbal ki kahaniya आज भी लोगों की जुबान पर है । उन किस्सो में से कुछ किस्से आपको बताने जा रहे है -

किस्सा - अंधो की गिनती 

बादशाह अकबर ने एक बार कहा था कि अपने क्षेत्र में अंधो की गिनती कैसे करें ? सभी ने अपने अपने विचार व्यक्त किए । लेकिन उनके अनुसार इस कार्य को बहुत मुश्किल था । तभी बीरबल बोला - जहाँपनाह हम कर सकते है ? तो अकबर ने बीरबल को गिनती करने की जिम्मेदारी दे दी ।

दूसरे दिन गांव के चौराहे पर खड़े होकर बीरबल आटी से सुत कातने लगा । राह पर चलने वाला हर व्यक्ति पूछने लगा - अरे बीरबल यहाँ क्या कर रहा है । जैसे जैसे लोग उसे पूछते गए बीरबल उन लोगो को अंधो की लिस्ट में शामिल करता गया ।

Akbar history and biography in hindi.

अंत मे जब बादशाह अकबर ने पूछा तो उन्हें भी अंधो की सूची में शामिल कर लिया । देखकर आश्चर्य से अकबर बोले - ये क्या बीरबल मुझे भी अंधो की सूची में जोड़ दिया । बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा - जहाँपनाह आपको पता है कि मैं यहां सुत कात रहा हूँ औऱ आप पूछ रहे हो कि बीरबल तुम यहाँ क्या कर रहे हो ? तो बताओ अंधे हो की नहीं । बादशाह के पास कोई जबाब नहीं था ।

अकबर बीरबल की खिचड़ी । Akbar - Birbal ki khichdi.

एक बार मुगल बादशाह अकबर ने घोषणा करते हुए कहा कि जो कोई भी व्यक्ति नदी के ठंडे पानी से नहाकर पूरी रात खड़ा रहेगा उसे इनाम दिया जायेगा । बादशाह की घोषणा सुनकर एक धोबी इस शर्त को पूरा करने में सफल हो गया । 

सुबह बादशाह के दरबार में जाकर इनाम की मांग करने लगा तब अकबर ने पूछा कि रातभर नदी में खड़े खड़े आपने क्या देखा । धोबी ने कहा कि - मैं रातभर आपके महल में जल रही रोशनी को देख रहा था । इस जबाब को सुनकर अकबर ने अयोग्य करार देते हुए कहा कि तुम मेरे महल में जल रोशनी के सहारे खड़े रहे इसलिए तुम इस इनाम के हकदार नहीं है ।

धोबी निराश होकर बीरबल को पूरी बात सुनाई । बीरबल ने इनाम दिलाने का वादा करके घर भेज दिया । दूसरे दिन जब बादशाह ने बीरबल को बुलाया तब हलकारे से कहा कि आलमपनाह को बोलना कि जब खिचड़ी पकेगी तब बादशाह के पास आऊंगा ।

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बादशाह इंतज़ार करते करते शाम हो गई तो अकबर स्वयं ने जाकर देखा तो आग धरती पर जल रही थी और हांडी एक लकड़ी के डंडे पर लगी ऊँची थी । देखकर बादशाह बोले - बीरबल ये तेरी खिचड़ी कैसे पकेगी ? बीरबल ने जबाब दिया - पक जाएगी सरकार । 

बादशाह ने उत्साह से पूछा - इतनी दूर भला कैसे पकेगी ? बीरबल ने कहा कि जैसे धोबी आपके महल की रोशनी के सहारे खड़ा रहा वैसे ही ये खिचड़ी पक जाएगी । 

सुनकर बादशाह चुप हो गए और अपनी गलती समझ गये । अगले ही दिन धोबी को बुलाकर पुरस्कार देने की घोषणा की । उसी दिन से बीरबल की खिचड़ी वाली कहावत चरितार्थ हुई ।

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