शिवाजी महाराज का इतिहास व परिचय । Chhatrapati shivaji maharaj biography in hindi.
Chhatrapati shivaji maharaj biography in hindi. मराठों का प्रारंभ उत्कर्ष देवगिरि के यादव के अधीन हुआ । इस राज्य के पतन के बाद में बहमनी राज्य की सेवा में चले गए । मराठे वीरता, साहस और सैनिक के गुणों से परिपूर्ण थे । साथ ही महाराष्ट्र की भौगोलिक स्थिति में मराठों को विशेष सुरक्षा तथा युद्ध को छापामार पद्धति के विकास में विशेष योगदान दिया । मराठा साम्राज्य का परवती विकास पेशवाओ के काल में उत्कर्ष पर पहुंचा ।
भारतीय इतिहास में मराठा साम्राज्य का उदय शिवाजी महाराज से माना गया है । छत्रपति शिवाजी महाराज एक ऐसे प्रतापी राजा हुए थे जिन्होंने मुगलों से लोहा लिया । उन्होंने अपने जीवनकाल में कई बार युद्ध किया । वे प्रखर प्रतिभा के धनी थे । वे बहादुर, शौर्य एवं वीर थे ।
भारत माँ की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए तैयार थे । एक महान देशभक्त के रूप में उन्होंने बहुत से कार्य किए । उन्होंने अपने बल पर मराठा साम्राज्य खड़ा किया । तो चलिए Bio4hindi में जानते है छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन परिचय । Chhatrapati Shivaji Maharaj biography in hindi.
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छत्रपति शिवाजी महाराज का इतिहास व जीवन परिचय । Chhatrapati shivaji maharaj biography in hindi.
मराठा शक्ति का उदय शिवाजी के नेतृत्व में 17वीं शताब्दी में हुआ । शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 में पुना के शिवनेर किले में हुआ । शिवाजी महाराज के जन्मदिन को इतिहासकारो में मतभेद है कुछ 10 फरवरी 1627 बताते है । कुछ 9 फरवरी को बताते है । शिवाजी के पिता शाहजी भोंसले और माता जीजा बाई थी । शिवाजी के व्यक्तित्व पर सर्वाधिक प्रभाव उनकी माता जीजा बाई तथा संरक्षक दादाजी कोंडादेव का पड़ा था । शिवाजी के गुरु समर्थ स्वामी रामदास थे । Chhatrapati shivaji Maharaj के बड़े भाई का नाम शंभाजी था ।
शिवाजी का प्रारंभिक जीवन अपने माता पिता के सानिध्य में बीता । उनके चरित्र पर माता पिता का गहरा प्रभाव देखने को मिलता है । शिवाजी महाराज ने राजनीति व युद्ध कौशलता बचपन में ही प्राप्त कर ली थी । और वही से मातृभूमि के प्रति गहरा लगाव हो गया ।
छत्रपति शिवाजी महाराज की कुल कितनी पत्नियां थी । Chhatrapati Shivaji wife's -
छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने जीवनकाल में कुल 8 शादियां की । उन्होंने सन् 14 मई 1640 में सइबाई निंबाळकर के साथ पुणे में स्थित लाल महल में विवाह किया था । उन्होंने वैवाहिक संबंध की राजनीति का इस्तेमाल करते हुए सभी मराठा सरदार को एक छत के नीचे लाने का सफल प्रयास किया । यही कारण था कि शिवाजी महाराज ने आठ आठ शादियां की ।
उनकी शादी 1640 में सखुबाई राणूबाई (अम्बिकाबाई ) फिर सोयराबाई मोहिते जिनके बच्चे- दीपबै, राजाराम थे फिर पुतळाबाई पालकर (1653-1680) में, फिर गुणवन्ताबाई इंगले, सगुणाबाई शिर्के, फिर काशीबाई जाधव, लक्ष्मीबाई विचारे और ( 1656 - 1680 ) सकवारबाई गायकवाड़ ( कमलाबाई ) से की ।
छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक । shivaji ka Rajyabhishek -
बीजापुर के सुल्तान अली आदिल शाह ने 1659 ई में अफजल खाँ को शिवाजी को सबक सबक सिखाने के लिए भेजा परंतु chhatrapati shivaji maharaj ने उसे मार दिया । इसी तरह औरंगजेब द्वारा भेजे गए । शाइस्ता को भी शिवाजी से लड़ने के लिए भेजा राजा जयसिंह ने शिवाजी को पुरंदर की संधि 1565 करने पर विवश किया । जिसमें शिवाजी के काफी दुर्ग मुगलों के पास चले गए । शिवाजी की कर व्यवस्था मालिक और अम्बर की कर व्यवस्था पर आधारित थी । भूमि - पान के लिए काठी एवं मानक घड़ी का प्रयोग किया गया ।
शिवाजी ने सैन्य व्यवस्था तैयार की जिसके सैनिक गुरिल्ला रणनीति और घुड़सवारी युद्ध में प्रवीण थे । शिवाजी ने पश्चिमी दक्कन के पठार पर्वतों पर किलाबंदी दुर्गों की श्रंखला निर्मित की थी । मराठा शासन के अधीन धारित भूमिधर टेनेंन्सीटेन्यारों की श्रेणी को उपरि कहा जाता था ।
शिवाजी को 1666 ई में उनके पुत्र शभ्भा जी के साथ आगरा में नजरबंद भी किया गया । परंतु वह वहां से भाग निकले 6 जून 1674 ईस्वी में शिवाजी ने रायगढ़ के दुर्ग में महाराष्ट्र के स्वतंत्र शासक के रूप में अपना राज्य अभिषेक कराया और छत्रपति की उपाधि ग्रहण की 12 अप्रैल 1680 को शिवाजी की मृत्यु हो गई । मराठा शासन के विषय को गोपाल कृष्ण गोखले ने कहा था कि मराठा शासन और विशेषता शिवाजी ने भारत में आधे राष्ट्रवादी चेतना को निरूपित किया ।
शिवाजी के प्रशासन की मुख्य विशेषता -
शिवाजी महाराज के प्रशासन यानी अष्टांग प्रधान अर्थात उनके आठ मुख्यमंत्री थे जो निम्न प्रकार हैं :-
1. पेशवा - प्रधानमंत्री ।
2. मजमुआदर - वित्त मंत्री ।
3. सुमंत (दवीर ) - विदेश मंत्री ।
4. चिटनिस ( सुरनबीस ) - सामान्य पत्र व्यवहार ।
5. वाकयानवीस - सूचना गुप्तचर विभाग का प्रधान ।
6. सर -ए - नौवत ( सेनापति ) - सैन्य गतिविधियों का प्रबंधक ।
7. पंडितराव - धर्म वें दान के मामलों का प्रधान ।
8. न्यायधीश - न्याय विभाग का प्रबंधक ।
शिवाजी की अर्थव्यवस्था और लगान व्यवस्था :
भूमि के माप की पद्धति अपनाई गई । वह स्वराज के लिए पूरे राज्य को 16 इकाइयों में विभाजित किया गया शिवाजी की आय का प्रमुख साधन चौथ था । चौथ हर साल वसूल किया जाता था । वह 1 बटा 4 भाग कर उन मराठा सरदारों द्वारा दिया जाता था । जो शिवासी के प्रत्यक्ष भाग के अधीन नहीं थे बल्कि स्वायन्त स्थिति में थे ।
आय का दूसरा प्रमुख साधन सरदेशमुखी था । यह राज्यों के आए का 1 बटा 10 भाग होता था शिवाजी ने पैदावार को 33 परसेंट लागन के रूप में वसूल किया बाद में स्थानीय करो को समाप्त करने के बाद पैदावार को 40% लेने लगे शिवाजी के नियमित घुड़सवार सैनिकों को पागा या वरगीर एवं अस्थाई घुड़सवार सैनिकों को सिलहदार कहा जाता था ।
मराठा साम्राज्य के शिवाजी का क्रांतिकारी स्वभाव ।
1. शिवाजी ने सबसे पहले 1646 ई मे तोंरण के किले पर अपना अधिकार कर लिया ।
2. शिवाजी ने अपनी राजधानी रामगढ़ 1665 में बनाई ।
3. शिवाजी ने पहली बार मुगलों से 1657 ईस्वी में युद्ध किया ।
4. शिवाजी ने 1659ई में सलहार के युद्ध में मुगलों को पराजित किया ।
5. शिवाजी के मंत्री मंडलों को अस्थान प्रधान कहा जाता था और प्रधान में सबसे महत्वपूर्ण पद पेशवा का होता था और पेशवा को प्रधानमंत्री कहा जाता था । और अमात्य वित्त मंत्री को कहा जाता था ।
6. मराठा साम्राज्य की राज्य भाषा मराठी थी ।
7. कर्नाटक अभियान शिवाजी का अंतिम विजय अभियान था ।
8. शभ्भा जी ने औरंगजेब के विद्रोह विद्रोही पुत्र अकबर को शरण दी थी । शभ्भा जी को औरंगजेब द्वारा मार दिया गया । शभ्भा जी की मृत्यु के बाद उनका भाई राजा राम राजा बना ।
9. शिवाजी महाराज ने अपने जीवनकाल में 360 किलो पर विजय हासिल की ।
शिवाजी महाराज की मृत्यु एवं उत्तराधिकारी । chhatrapati shivraj maharaj ki death.
शिवाजी महाराज की मृत्यु 12 अप्रैल 1680 हुई थी । शिवाजी के प्रमुख उत्तराधिकारी निम्नलिखित है, शभ्भा जी शिवाजी की मृत्यु के उपरांत उनका जेष्ठ पुत्र शिवाजी मराठा साम्राज्य का उत्तराधिकारी बना । औरंगजेब ने 1689 में शभ्भा जी तथा उनके सहयोगी कवि कशल को मरवा दिया ।
राजाराम तदूपरान्त शिवाजी के दूसरे पुत्र राजाराम को छत्रपति घोषित किया गया जो 1689 - 1700 तक रहे । 1700 ई मे इनकी मृत्यु के पश्चात सिंह गड में ताराबाई का प्रभुत्व (1700 - 1707) रहा, जो राजाराम की विधवा रानी थी ।
शाहू (1707 ई ) में बहादुर शाह प्रथम ने उसे मुक्त कर दिया 1707 इसी में ही शाहू ने स्वयं को मराठा राज्य का शासक घोषित कर दिया और उत्तराधिकारी के युद्ध में चचेरी ताराबाई को पराजित किया । अपनी शक्ति में वृद्धि के लिए शाहू ने 1713 में बालाजी विश्वनाथ को मराठा राज्य का पेशवा नियुक्त किया । शासन की अस्थिरता का फायदा उठाकर बालाजी विश्वनाथ ने पेशवा की शक्ति में वृद्धि की बालाजी विश्वनाथ 1713 इसमें प्रथम पेशवा बना जिसकी 1720 ईस्वी में मृत्यु हो गई । बाजीराव प्रथम 20 वर्ष की आयु में 1720 इसमें पेशवा बाजीराव नीतियों और युद्ध द्वारा मराठा शक्ति का विस्तार किया । 1740 ईस्वी में इनकी मृत्यु हो गई । बालाजी बाजीराव 1740 ईस्वी में बाजीराव का पुत्र बालाजी बाजीराव पेशवा बना । इसे नाना साहब भी कहा जाता हैं ।
1450 ई मे हुई सगोल संधि के तहत यह मराठा संघ का वास्तविक प्रथम पेशवा बना । पानीपत के द्वितीय युद्ध में मराठों की पराजय के कुछ समय बाद ही 23 जून 1761 को बालाजी बाजीराव की मृत्यु हो गई । माधव - राव 1761 में माधवराव पेशवा बना I 1772 ई मे इसकी मृत्यु हो गई । इसके बाद पेशवा की सत्ता कमजोर हो गई ।। नैना सोढ़ी ।।