आजादी का अमृत महोत्सव पर निबंध । Azadi ka Amrit Mahotsav essay in hindi.

आजादी का अमृत महोत्सव पर निबंध । Azadi ka Amrit Mahotsav essay in hindi.


Azadi ka Amrit Mahotsav essay in hindi.


Azadi ka Amrit Mahotsav essay in hindi. आज़ादी का अमृत महोत्सव एक ऐसा महाउत्सव है एक ऐसा अभियान है जो हमे आजादी की ऊष्मा प्रदान करता है । जो हमें शहीदों की शहादत को याद करके गर्व करने का अवसर देता है । एक ऐसा उत्सव है जो हमे गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने का सुअवसर प्रदान करता है । 

देशभर में देशभक्ति भावनाओ का प्रसार करता है । Azadi ka amrit mahotsav की शुरुआत 12 मार्च 2021 में हुई थी । हालांकि यह पर्व प्रति 25 साल के अंतराल में होना चाहिये था मगर इनकी शुरुआत आजादी के 75 साल पूर्ण होने पर हुई थी । अब ये लगातार 3 साल तक चलेगा । तो चलिए जानते हैं - आजादी का अमृत महोत्सव पर निबंध ।  Azadi ka Amrit Mahotsav essay in hindi.

विकास के पथ पर भारत निरंतर बढ़ता जाता, 
75 वर्षों की मेहनत से अपनी पहचान बनाता ।
याद कर शहादत वीरों की, सीना गर्व से है भर जाता,
सहेजे अपनी संस्कृति को आजादी का महोत्सव मनाता ।

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आजादी का अमृत महोत्सव पर निबंध ।  Azadi ka Amrit Mahotsav essay in hindi.

किसी भी राष्ट्र का भविष्य तभी उज्जवल होता है जब वह अपने अतीत के अनुभवों से शिक्षा लेकर अपनी संस्कृति और विरासत को सहेजे हुए विकास हेतु निरंतर प्रयास करता रहता है|हमारे भारत देश के पास भी अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर और अतीत के सुनहरे ऐतिहासिक पन्ने है, देश की इसी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के प्रति जन जन को प्रेरित व गौरवान्वित करने हेतु आजाद की 75वी वर्षगांठ के उपलक्ष में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है|

आजादी के अमृत महोत्सव कब से कब तक मनाया जाता है ?

आजादी के अमृत महोत्सव की शुरुआत माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा 12 मार्च 2021 के दिन गुजरात के अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम से पदयात्रा (स्वतंत्रता मार्च ) को हरी झंडी दिखाकर की गई। इस दौरान आजादी की 75 वीं वर्षगांठ को समर्पित 'आजादी के अमृत महोत्सव' 15 अगस्त 2022 से 75 सप्ताह पूर्व शुरू हुआ है और 15 अगस्त 2023 तक चलेगा।

Azadi ka amrit mahotsav प्रत्येक 25 साल पूर्ण होने पर मनाया जाएगा । इस अवसर पर प्रत्येक विभाग द्वारा कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे । यहां तक कि विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा जैसे निबन्ध, काव्य, स्लोगन एवं अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है । 

आजादी के अमृत महोत्सव क्यो मनाया जाता है ।  Azadi ka amrit Mahotsav kyo manaya jata hai ?

महाकवि तुलसीदास जी का कहना है कि "पराधीन सपनेहु सुख नाही"- इस उक्ति का अर्थ यह है कि पराधीन व्यक्ति कभी भी सुख को अनुभव नहीं कर सकता है। सुख पराधीन और परावलंबी लोगों के लिए नहीं बना है। पराधीन एक तरह का अभिशाप होता है। भले ही देश आज पूर्ण तरीके से आजाद है, परंतु इस आजादी के लिए हमने बहुत बड़ी कीमत चुकाई है |

अट्ठारह सौ सत्तावन की खूनी क्रांति, भगत सिंह की शहादत, सुभाष चंद्र बोस की कुर्बानी, महात्मा गांधी के आंदोलन और ऐसे ही असंख्य वीरों की गाथाओं से इतिहास भरा पड़ा है। स्वतंत्रता सेनानियों की इन्ही गाथाओं से देशवासियों को प्रेरित करने के उद्देश्य से आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है।

आजादी के अमृत महोत्सव का महत्व ।  Azadi ka mahatwa.

आज हर भारतीय के मन में उत्सव है क्योंकि हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। महान स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक जी ने कहा था "स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।" हमारे इसी अधिकार के महत्व को समझने वाला है- आजादी का महोत्सव। भारत का हर नागरिक लोकमान्य तिलक के "पूर्ण स्वराज्य", आजाद हिंद फौज के "दिल्ली चलो" और "भारत छोड़ो आंदोलन" के आहान को कभी नहीं भूल सकता। 

हमें मंगल पांडे, तात्या टोपे, रानी लक्ष्मीबाई, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, पंडित नेहरू, सरदार पटेल, डॉ अंबेडकर के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। भारत को स्वतंत्र कराने में देश के कोने-कोने से कितने ही दलित, आदिवासी, महिलाएं और युवा थे जिन्होंने असंख्य यातनाएं झेली। 

आजादी के आंदोलन की इस ज्योति को देश के कोने कोने में निरंतर जागृत करने में हमारे संतो महंतों ने भक्ति आंदोलन के माध्यम से भूमिका निभाई। यह महोत्सव आजादी की इन्हीं कहीं अनकही गाथाओं से पुनः जोड़ेगा। जब गांधी जी ने दांडी यात्रा की और नमक कानून तोड़ा उस दौर में नमक भारत की आत्मनिर्भरता का एक प्रतीक था।

आजादी का अमृत महोत्सव सन 1857 से 1947 तक । Azadi ka amrit mahotsav 1857 se 1947 tak.

वैसे तो आजादी के इस अमृत महोत्सव को मनाने की शुरुआत सन 2021 से ही की गई परंतु इसकी नींव तो सन 1857 की खूनी क्रांति के साथ ही डल गई थी। ब्रिटिश हुकूमत से आजादी हासिल करने के लिए 1857 से लेकर 1947 तक कई जन आंदोलन चले, जिन्होंने देश को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तो आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही प्रमुख घटनाओं का इतिहास - 

1857 की क्रांति - 1857 का विद्रोह मेरठ के सैन्य कर्मियों के विरोध से शुरू हुआ था। यह तेजी से कई राज्यों में फैल गया। पहली बार ब्रिटिश शासन को सेना की ओर से गंभीर चुनौती मिली, हालांकि ब्रिटिश सरकार इसे 1 वर्ष के अंदर दबाने में सफल रही इस विद्रोह को इतिहासकारों ने भारतीय स्वतंत्रता का पहला संग्राम कहा।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस - 1885 में सुरेंद्रनाथ बनर्जी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की। इसका मुख्य लक्ष्य मध्यवर्गीय शिक्षित नागरिकों के विचारों को आगे लाना था।

बंगाल विभाजन - 1905 में पश्चिम बंगाल का विभाजन हुआ। देश की राजधानी कलकत्ता से बदल कर दिल्ली कर दी गई। बंगाल विभाजन के खिलाफ उपजे आंदोलन को दबाने के लिए ब्रिटिश सरकार ने 1909 में कई कानून लागू किए जो कि भारतीयों के हित में थे।

महात्मा गांधी की वापसी - मोहनदास करमचंद गांधी 1915 में दक्षिण अफ्रीका में अपने जमे जमाए बैरिस्टर के कैरियर को त्याग अपने देश वापस आ गए। मोहनदास मुंबई की अपोलो बंदरगाह पर उतरे तो न तो वह महात्मा थे और न हीं बापू, लेकिन खेड़ा सत्याग्रह, चंपारण सत्याग्रह, स्वदेशी आंदोलन, असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन के बल पर भारत को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई। यही कारण है कि पहले तो वह गांधी के नाम से प्रसिद्ध हुए और बाद में अपने मूल नाम से ज्यादा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम से जाने गए।

जलियांवाला बाग नरसंहार - स्वतंत्रता आंदोलन के दौर में जहां एक और सुधारवादी और क्रांतिकारी योजनाएं बनाई जा रही थी, वही 13 अप्रैल 1919 को पंजाब में जलियांवाला बाग नरसंहार हुआ। उस दिन यहां पर लोग वैशाखी मनाने के लिए इकठ्ठे हुए। इस नरसंहार के विरोध में रविंद्र नाथ टैगोर ने ब्रिटिश सरकार की मिली नाइटहुड उपाधि को त्याग दिया था।

असहयोग आंदोलन - सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के बीच महात्मा गांधी तथा कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया गया, इसमें भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा मिली।

खिलाफत आंदोलन - अंग्रेजी हुकूमत की जंजीरों को तोड़ने की भारत की कोशिशों में खिलाफत आंदोलन महत्वपूर्ण आंदोलन में से एक था। मौलाना मुहम्मद अली व मौलाना शौकत अली के नेतृत्व में खिलाफत आंदोलन दक्षिण एशिया तक फैल गया।

दिल्ली विधानसभा में बमबारी - निरंकुश और भेदभाव पूर्ण शासन के खिलाफ मानवता, भाईचारा, आपसी प्रेम और सर्वहारा का शासन स्थापित करने के मकसद से 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने केंद्रीय असेंबली में बम फेंका था। बम फेंकने के बाद उन्होंने गिरफ्तारी दी।

Azadi ke 75 varsh Amrit mahotsav.


भारत छोड़ो आंदोलन - अगस्त 1942 में गांधीजी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की तथा भारत छोड़कर जाने के लिए अंग्रेजों को मजबूर करने हेतु एक सामूहिक नागरिक अवज्ञा आंदोलन "करो या मरो" आरंभ करने का निर्णय लिया। इस आंदोलन के बाद रेलवे स्टेशनों, दूरभाष कार्यालय, सरकारी भवनों और अन्य स्थानों तथा उपनिवेश राज्य के संस्थानों पर बड़े स्तर पर हिंसा शुरू हो गई।

आजाद हिंद फौज - सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद सरकार का गठन हुआ। सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज के कमांडर की हैसियत से भारत की अस्थाई सरकार बनाई, बहुत जल्दी से जर्मनी, जापान, फिलिपिंस, कोरिया, चीन, इटली और आयरलैंड ने मान्यता दी।

अंततः सन 1947 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने ब्रिटिश भारत से स्वतंत्र भारत घोषित किया और लॉर्ड माउंटबेटन को स्वतंत्र भारत का प्रथम वायसराय और गवर्नर जनरल घोषित किया। 15 अगस्त 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के तहत भारत को स्वतंत्रता मिली, भारत को दो अलग-अलग देशों में विभाजित कर दिया गया।

आजादी के 75 वर्ष अमृत महोत्सव । Azadi ke 75 varsh Amrit mahotsav.

21वी सदी का भारत आत्मनिर्भरता की तरफ अपने कदम बढ़ा रहा है। भारत की उपलब्धियां पूरा विश्व देख रहा है। हम भारतीय चाहे देश में रह रहे हो या फिर विदेश में हमने अपनी मेहनत से खुद को साबित किया है। हमें अपने संविधान, अपनी संस्कृति पर गर्व है। भारत लोकतंत्र की जननी है और आज भी लोकतंत्र को मजबूती देते हुए आगे बढ़ रहा है। आत्मनिर्भरता से ओतप्रोत हमारी विकास यात्रा पूरी दुनिया की विकास यात्रा को गति देने वाली है। 

कोरोना काल में यह सारे विश्व के सामने प्रत्यक्ष सिद्ध भी हो गया है कि आत्मनिर्भर भारत वैक्सीन निर्माण में भी पीछे नहीं रहा। भारत ने न केवल अपनी अपितु विश्व के अनेक देशों की जनता के स्वास्थ्य रक्षा के लिए भरसक प्रयास किए तथा कोरोना वैक्सीन उपलब्ध करवाई।

 हमारा देश आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते हुए अपने इतिहास के गौरव को भी सहेजने की कोशिश कर रहा है। हम सभी का सौभाग्य है कि हम आजाद भारत के इस 75 साल के ऐतिहासिक कालखंड के साक्षी बन रहे है, जिसमें भारत उन्नति की नई ऊंचाइयों को छू रहा है। आज का भारत विश्व में अपना नाम अग्रिम पंक्ति में लिखवा चुका है।

उपसंहार - 

75 साल हुए आजादी को चलो,
 आज फिर एकता दिखाते हैं।
 मिलकर आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हैं ।

Azadi ka amrit mahotsav मनाते समय हमें उन देश प्रेमियों को याद करना चाहिए जिन्होंने अपने सारे सुखों को ठोकर मार कर अंग्रेजों से केवल इसलिए लोहा लिया था ताकि दूसरे देश वासी एवं भावी भारतीय सुखचैन और सम्मान के साथ जी सके। निश्चित रूप से उनके बलिदान रंग लाए। 

परंतु अब हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम देश को इतना सुरक्षित और मजबूत बनाए कि कभी कोई विदेशी इसकी और आंख उठाकर भी नही देख सके। केवल स्वतंत्रता दिवस में ही हमारा कर्तव्य पूरा नहीं हो जाता, हम सबको अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए और देश हित हेतु तत्पर रहना चाहिए। शिवराम सैनी ( BSc. BEd )

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