लेखक पीयूष गोयल का जीवन परिचय । Piyush Goel biography in hindi.

लेखक पीयूष गोयल का जीवन परिचय । Piyush Goel biography in hindi.


Piyush Goel biography in hindi.

Piyush Goel biography in hindi. दोस्तों लेखन एक ऐसी कला है । एक ऐसा हुन्नर है जिससे शोहरत आपके कदम चूमती है । जी हां आज हम ऐसे ही लेखक के बारे में बताने वाले हैं जिन्होंने हमारे लोकप्रिय गर्न्थो को अलग अलग तरीके से लिखने का कारनामा कर दिखाया है । सुई की नोंक से लेखन करके एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है । वही मिरर इमेज लेखन करके अपने लेखन कौशल का परिचय दिया है । 

जी हां आज हम ऐसे ही लेखक के बारे में बताने वाले हैं जिन्होंने हमारे लोकप्रिय गर्न्थो को अलग अलग तरीके से लिखने का कारनामा कर दिखाया है । सुई की नोंक से लेखन करके एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है । वही मिरर इमेज लेखन करके अपने लेखन कौशल का परिचय दिया है । 

जी हां Piyush goel एक ऐसे लेखक हैं जिन्होंने इस 5 पुस्तके अलग अलग तरीके से लिखकर एक विश्व रिकॉर्ड कायम किया है । इतना ही नहीं उनकी एक पुस्तक अंग्रेजी में अनुवाद हुई हैं तो चलिए Bio4hindi में जानते है writer पीयूष गोयल का जीवन परिचय । Piyush goel biography in hindi.

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लेखक पीयूष गोयल की जीवनी । Piyush goel biography in hindi -

Piyush Goel लेखन की दुनिया के लिए जाने जाते है । वे साल 2003 से लगातार लिखते आ रहे है । पीयूष गोयल  का जन्म 10 फ़रवरी 1967 को माता रविकांता एवं डॉ. दवेंद्र कुमार गोयल के घर हुआ । उन्होंने डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त की ।

उन्होंने मेहंदी से गीतांजलि (रबींद्रनाथ टैगोर कृत), कील से "पीयूष वाणी" एवं कार्बन पेपर से "पंचतंत्र" (विष्णु शर्मा कृत)। श्रीमदभगवदगीता (हिन्दी व अंग्रेज़ी), श्री दुर्गा सप्त सत्ती (संस्कृत), श्रीसांई सतचरित्र (हिन्दी व अंग्रेज़ी), श्री सुंदरकांड, चालीसा संग्रह, सुईं से मधुशाला लिखकर विश्व कीर्तिमान स्थापित किया ।

नर न निराश करो मन को 

कुछ काम करो, कुछ काम करो

जग में रहकर कुछ नाम करो ।।

इन लाइनों से प्रेरणा लेकर पले बढे पीयूष गोयल पेशे से बहुराष्ट्रीय कम्पनी में कार्यरत डिप्लोमा यांत्रिक इंजिनियर है । इन सबके अलावा पीयूष गोयल दुनिया की पहली दर्पण छवि पुस्तक ( Mirror image book ) श्रीमदभागवत गीता की रचना की । पीयूष गोयल ने भगवद्गीता गीता के सभी 18 अध्याय 700 श्लोक का अनुवाद सहित हिंदी व अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में रचना की । 

इसके अलावा पीयूष गोयल ने दुनिया की पहली सुई की नोक से डॉ. हरिवंशराय की लोकप्रिय पुस्तक मधुशाला ( Madhushala ) की रचना की है। उनकी अब तक 4 पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। पीयूष गोयल संग्रह के भी शौक़ीन हैं, उनके पास प्रथम दिवश आवरण, पेन संग्रह, विश्व प्रसिद्ध लोगो के ऑटोग्राफ़ संग्रह भी हैं। इस के आलावा संस्कृत में श्री दुर्गा सत्सती, अवधी में सुन्दरकाण्ड, हिंदी व अंग्रेज़ी में श्रीसाईं चरित्र की रचना कर चुके हैं। 54 वर्षीय पीयूष गोयल कुछ हटकर करने की कोशिश में अपने धुन में रमकर लेखन करने लगे कि शब्दों को उल्टा लिखने में माहिर हो गए । और चंद महीनों मे कई अलग-अलग सामग्री से कई पुस्तकें लिख दीं । 

पीयूष गोयल ने दर्पण छवि में किया पुस्तक लेखन । Piyush goel write mirror image book

साल 2000 में पीयूष गोयल का एक्सीडेंट हो गया था। उन्हें इस हादसे से उबरने में करीब नौ माह  लग गए।  इस दौरान उन्होंने हिन्दू ग्रन्थ श्रीमद्भभगवद गीता का अध्ययन कर लिया। जब वे स्वस्थ हुए तो कुछ अलग करने की ठान ली औऱ शब्दों को उल्टा ( दर्पण शैली ) लिखने का प्रयास करने लगे। फिर अभ्यास ऐसा बना कि उन्होंने कई किताबें लिख दीं। 

इस पुस्तक की भाषा शैली को देखकर आप एकबारगी आश्चर्य में पड़ जायेंगे। आपको समझ में मुश्किल होगी कि यह पुस्तक किस शैली में लिखी हुई है। पर जब आप जैसे ही दर्पण ( Mirror ) के सामने पहुंचेंगे तो यह पुस्तक स्वत् ही बोलने लगेगी। इस पुस्तक के सभी अक्षर स्वत् ही सीधे नजर आयेंगे। 

Piyush goel write mirror image book.


पीयूष का ये तरीका इतना बेहतरीन है कि देखने वाले देखते ही रह जाते है और न देखने वालों के लिए एक स्पर्श ही काफी है।  पीयूष ने सूई की नोक से श्री हरिवंशराय बच्चन जी की लोकप्रिय कृति 'मधुशाला' को लगभग दो से ढाई महीने में पूरा किया। यह पुस्तक भी Mirror Image में लिखी गयी है और इनकी विशेषता यह है कि इन्हें पढ़ने के लिए दर्पण की आवश्यकता नहीं पड़ेगी । इनका कारण यह है कि रिवर्स में पेज पर शब्दों के इतने प्यारे मोतियों जैसे पृष्ठों को लिखा गया है, जिसको आसानी से पढ़ा जा सकता है और यह सूई से लिखी 'मधुशाला' दुनिया की अब तक की पहली ऐसी पुस्तक है जो मिरर इमेज व सूई की नोक से लिखी गई है।

साहित्य जगत के नोबेल पुरस्कार (1913 ) विजेता रविन्द्रनाथ टैगोर की विश्व प्रसिद्ध कृति 'गीतांजलि' को पीयूष गोयल ने 'मेंहदी के कोन' से लिखा है। इस कृति को उन्होंने 8 जुलाई 2012 को मेंहदी से गीतांजलि लेखन शुरू करके पुस्तक के सभी 103 अध्याय 5 अगस्त 2012 तक रचित कर दिए। इस पुस्तक को लिखने में 17 कोन तथा दो नोट बुक प्रयोग में ली गई हैं। इसके अलावा Piyush Goel ने श्री दुर्गा सप्त शती, अवधी में सुन्दरकांड, आरती संग्रह, हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में श्री साईं सत्चरित्र भी लिख चुके हैं। 'रामचरितमानस' ( दोहे, सोरठा और चौपाई ) की रचना कर चुके हैं। 

लेखकीय जुनून इस प्रकार था कि पीयूष गोयल ने स्वरचित पुस्तक पीयूष वाणी ( Piyush Vani ) को कील से ए-फोर ( A4 ) साइज की एल्युमिनियम शीट पर उकेर दिया। एक सवाल के जबाब में पीयूष गोयल ने बताया कि इससे पहले दुनिया की पहली सुई से स्वर्गीय श्री हरिवंशराय बच्चन जी की विश्व प्रसिद्ध पुस्तक 'मधुशाला' को लिखने बाद उनके मन में यह विचार आया कि इसे क्यों न कील से भी प्रयास किया जाये । उनके इस विचार को A4 की साइज की एल्युमिनियम शीट पर भी लिखने का एक सफल प्रयास किया ।

Piyush goel ने पंचतंत्र कथाओ को लिखा कार्बन पेपर पर । 

एक और नई तरकीब से लेखन करके सभी पाठकों को हैरान कर दिया । उन्होंने कार्बन पेपर की मदद से आचार्य विष्णुशर्मा द्वारा रचित 'पंचतंत्र' ( Panchtantra ) के सभी 41 कथाओ  की अपने तरीके से लेखन कर दिया है। उन्होंने कार्बन पेपर को (जिस पर लिखना है) के नीचे उल्टा करके लिखा जिससे हुआ ये कि पेपर के दूसरी और शब्द सीधे दिखाई देंगे । इसका मतलब ये हुआ कि पेज के एक तरफ शब्द मिरर इमेज में और दूसरी तरफ सीधे। लेखक Piyush Goel ने उल्टे अक्षरों में गीता, सुई से मधुशाला, मेंहंदी से गीतांजलि, कार्बन पेपर से पंचतंत्र के साथ ही कील से पीयूष वाणी की रचना की । लेखन जगत से जुड़े लेखक पीयूष गोयल की इन उपलब्धियों को जानकर हर कोई आश्चर्यचकित रह जाता है । हमारी यही दुआ है कि वे ऐसे ही नव सृजन करते रहे ।

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